परिसर की दीवार विरुपति करने के संबंध में डीयू का आदेश : एबीवीपी, एनएसयूआई ने किया विरोध

punjabkesari.in Saturday, Jul 02, 2022 - 06:24 PM (IST)

नयी दिल्ली, दो जुलाई (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के छात्र संगठनों ने परिसर की दीवारों को विरूपित करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी वाले विश्वविद्यालय के हालिया आदेश पर चिंता व्यक्त करते हुए आशंका जताई है कि दूसरों को फंसाने के लिए फर्जी पोस्टर लगाकर इस नियम का दुरुपयोग किया जा सकता है।

बृहस्पतिवार को जारी एक अधिसूचना में डीयू प्रॉक्टर रजनी अब्बी ने चेतावनी दी कि परिसर में दीवारों पर जिनके पोस्टर और नाम चस्पा किए या पेंट किए गए पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि ‘‘कुछ तत्व’’ परिसर में दीवारों को ‘‘विरूपित’’ कर रहे हैं।

छात्र समूहों ने विश्वविद्यालय से अपने हालिया आदेश पर पुनर्विचार करने का आह्वान करते हुए कहा है कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि इससे नए नियमों का ‘‘राजनीतिकरण’’ हो सकता है।

हालांकि, विश्वविद्यालय ने कहा कि मामले में कार्रवाई करने से पहले उचित जांच की जाएगी।

अब्बी ने कहा, ‘‘मुझे पता है कि इस बात की संभावना है कि दूसरे की छवि खराब करने के लिए किसी और के पोस्टर लगाए जा सकते हैं, लेकिन हम उचित जांच के बाद ही कार्रवाई करेंगे।’’
सजा से बचने के लिए उम्मीदवारों द्वारा पोस्टर पर अपने नाम की वर्तनी बदलने के बारे में पूछे जाने पर, अब्बी ने कहा, ‘‘हम ठीक से जांच करेंगे। हम उनका पता लगाएंगे।’’ छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने कहा कि विश्वविद्यालय को परिसर की सुरक्षा को मजबूत करने सहित उन लोगों को जवाबदेह ठहराने के लिए अन्य तरीकों की तलाश करनी चाहिए, जो विश्वविद्यालय को बदनाम कर रहे हैं।

एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव नीतीश गौड़ ने कहा, ‘‘हम पूरी तरह से उन लोगों के खिलाफ हैं जो विश्वविद्यालय को विरुपित कर रहे हैं। लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा हाल में जारी अधिसूचना सही नहीं है क्योंकि कोई और आपकी छवि को खराब करने के लिए आपका नकली पोस्टर चस्पा कर सकता है और इससे नियम का राजनीतिकरण होगा। जरूरत है कि विश्वविद्यालय की इस बारे में सावधान रहे।’’
गौड़ ने कहा, ‘‘विश्वविद्यालय को सुरक्षा को मजबूत करना चाहिए। वे सुरक्षा एजेंसियों पर बहुत पैसा खर्च कर रहे हैं। सुरक्षा में लगे कर्मियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी दीवारों को खराब नहीं करे। रात्रि पाली में तैनात सुरक्षाकर्मी सतर्क रहें और जांचें कि उन्हें (पोस्टर) कौन चस्पा रहा है। विश्वविद्यालय को हर जगह सीसीटीवी भी लगाने चाहिए ताकि कोई दीवार पर पेंट नहीं कर सके।’’
गौड़ की राय का अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने भी समर्थन किया। एबीवीपी के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक सिद्धार्थ यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय को सतर्क रहने और आदेश का दुरुपयोग नहीं हो यह सुनिश्चित करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह सभी की सामूहिक जिम्मेदारी होनी चाहिए कि विश्वविद्यालय को विकृत नहीं किया जाए और उसे साफ रखा जाए, लेकिन विश्वविद्यालय को भी सतर्क रहना चाहिए कि कोई भी दीवारों को विरूपित नहीं करे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ये विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय के अंदर की दीवारें हैं और कई कर्मचारी वहां 24 घंटे मौजूद हैं। जो बदमाश पोस्टर चस्पा रहे हैं, अगर उन्हें पकड़ लिया जाता है तो ही यह वास्तविक न्याय होगा, अन्यथा इसका दुरुपयोग होने की अधिक संभावना है।’’
विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि ‘‘लोकतंत्र की दीवारें’’ (प्रशासन द्वारा प्रचार सामग्री चस्पा करने के लिए समर्पित स्थान) होने के बावजूद, विशेष रूप से ‘‘वोट फॉर’’ लिखे पोस्टर परिसर को खराब करते हैं।

उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के दौरान स्थिति और खराब हो जाती है जब पार्टियां पूरी दीवारों को पोस्टरों से ढंकने की कोशिश करती हैं। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स यूनियन (आइसा) ने कहा कि उसे विश्वविद्यालय में हर जगह पोस्टर चस्पा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

आइसा दिल्ली के अध्यक्ष अभिज्ञान ने कहा, ‘‘यह संस्कृति रही है और विश्वविद्यालय हमें दीवारों पर पोस्टर चस्पा करने से रोककर इस संस्कृति को रोकना चाहते हैं। मेरा मानना ​​है कि परिसर के अंदर हर जगह पोस्टर चस्पा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।’’


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