भारत को हरित हाइड्रोजन गलियारा बनाने की जरूरत: नीति आयोग
Wednesday, Jun 29, 2022 - 04:15 PM (IST)
नयी दिल्ली, 29 जून (भाषा) नीति आयोग ने बुधवार को कहा कि देश को हरित हाइड्रोजन गलियारा बनाने की जरूरत है और सरकार इसको बढ़ावा देने के लिये स्टार्टअप कंपनियों को अनुदान उपलब्ध कराने के साथ-साथ उद्यमियों को समर्थन देने पर विचार कर सकती है।
आयोग ने ‘हरित हाइड्रोजन का उपयोग-भारत में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के अवसर’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया है कि हरित हाइड्रोजन के लिये कुल मांग और डॉलर आधारित बोली के जरिये निवेश को गति देने की जरूरत है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘देशभर में तीन हाइड्रोजन गलियारे विकसित करने की जरूरत है....सरकारें स्टार्टअप और परियोजनाओं को अनुदान और कर्ज दे सकती हैं। पालनाघर (इनक्यूबेटर) और निवेशक नेटवर्क के जरिये उद्यमियों को समर्थन दे सकती है। और ऐसे नियम बना सकती है जो जोखिमों का प्रबंधन करे।’’
इसमें कहा गया है कि सरकार संबंधित बाजारों में मांग सृजित करने और निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिये सार्वजनिक खरीद और खरीद प्रोत्साहन का भी उपयोग कर सकती है।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार को वैश्विक हाइड्रोजन गठबंधन के जरिये हरित हाइड्रोजन और हरित हाइड्रोजन उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन देना चाहिए।
हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया से आशय ऐसे हाइड्रोजन या अमोनिया है, जिसका उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग कर पानी की ‘इलेक्ट्रोलाइसिस’ विधि से होता है।
भारत समेत कई देशों ने शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है।
देश में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिये हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया की ओर कदम जरूरी है।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि देश में हाइड्रोजन मांग 2050 तक चार गुना हो सकती है। यह वैश्विक हाइड्रोजन मांग का करीब 10 प्रतिशत है।
इसमें कहा गया है कि दीर्घकाल में इस्पात और भारी ट्रक बनाने वाली इकाइयां मांग को गति देंगी। कुल मांग में इनकी हिस्सेदारी 2050 तक करीब 52 प्रतिशत होगी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
आयोग ने ‘हरित हाइड्रोजन का उपयोग-भारत में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के अवसर’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया है कि हरित हाइड्रोजन के लिये कुल मांग और डॉलर आधारित बोली के जरिये निवेश को गति देने की जरूरत है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘देशभर में तीन हाइड्रोजन गलियारे विकसित करने की जरूरत है....सरकारें स्टार्टअप और परियोजनाओं को अनुदान और कर्ज दे सकती हैं। पालनाघर (इनक्यूबेटर) और निवेशक नेटवर्क के जरिये उद्यमियों को समर्थन दे सकती है। और ऐसे नियम बना सकती है जो जोखिमों का प्रबंधन करे।’’
इसमें कहा गया है कि सरकार संबंधित बाजारों में मांग सृजित करने और निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिये सार्वजनिक खरीद और खरीद प्रोत्साहन का भी उपयोग कर सकती है।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार को वैश्विक हाइड्रोजन गठबंधन के जरिये हरित हाइड्रोजन और हरित हाइड्रोजन उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन देना चाहिए।
हरित हाइड्रोजन/हरित अमोनिया से आशय ऐसे हाइड्रोजन या अमोनिया है, जिसका उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग कर पानी की ‘इलेक्ट्रोलाइसिस’ विधि से होता है।
भारत समेत कई देशों ने शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है।
देश में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिये हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया की ओर कदम जरूरी है।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि देश में हाइड्रोजन मांग 2050 तक चार गुना हो सकती है। यह वैश्विक हाइड्रोजन मांग का करीब 10 प्रतिशत है।
इसमें कहा गया है कि दीर्घकाल में इस्पात और भारी ट्रक बनाने वाली इकाइयां मांग को गति देंगी। कुल मांग में इनकी हिस्सेदारी 2050 तक करीब 52 प्रतिशत होगी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।