जुबैर के 2018 के ट्वीट से ट्विटर पर ''''नफरती'''' बयानों की बाढ़ आ गई: पुलिस

punjabkesari.in Tuesday, Jun 28, 2022 - 09:28 PM (IST)

नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) तथ्यों की पड़ताल करने वाली वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज’ के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर को दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये जाने के एक दिन बाद अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि जुबैर के “2018 के आपत्तिजनक ट्वीट के बाद ट्विटर पर नफरती बयानों की बाढ़ आ गई थी जिससे सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा।”
पुलिस उपायुक्त (इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशन) के. पी. एस. मल्होत्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “ऐसे मामलों में, जिस उपकरण से ट्वीट किया गया उसे खोजना तथा ट्वीट के पीछे का मकसद जानना बेहद आवश्यक है। पूछताछ के दौरान वह दोनों ही सवालों के जवाब देने से बच रहे हैं। हमें पता चला है कि उनका फोन फॉर्मेट हुआ था। जवाब नहीं देने के चलते उन्हें गिरफ्तार किया गया।”
पुलिस अधिकारी ने कहा कि सबूत जुटाने के लिए पुलिस की चार सदस्यीय टीम बुधवार को जुबैर के बेंगलुरु स्थित आवास पर भेजी जाएगी,सुबूत में मोबाइल फोन अथवा वह लैपटॉप शामिल है जिसका इस्तेमाल उन्होंने ट्वीट करने में किया था।
अधिकारी ने कहा कि जिस मोबाइल फोन का वह फिलहाल इस्तेमाल कर रहा है उसे फॉर्मेट किया गया है और उसमें इस मामले से जुड़ी जानकारी नहीं है,जिसकी जांच की जा रही है इसलिए फोन को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा।

अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान जब जुबैर से उस फोन के बारे में पूछा गया जिससे उन्होंने 2018में कथित ट्वीट किया था,तो जुबैर ने पुलिस से कहा कि वह फोन खो गया है।
उन्होंने कहा,‘‘ वह जांच में शामिल हुआ लेकिन उसने सहयोग नहीं किया और उसके मोबाइल से कई चीजें मिटाई गई हैं।’’
अधिकारी ने कहा कि आपत्तिजनक ट्वीट के बारे में पूछे जाने पर जुबैर ने जांचकर्ताओं से कहा कि उसने ट्वीट किया था,हालांकि उसने ऐसा करने के पीछे कोई खास कारण नहीं बताया।
इसबीच दिल्ली की एक अदालत ने एक हिंदू देवता के खिलाफ 2018 में ‘आपत्तिजनक ट्वीट’ करने से जुड़े मामले में जुबैर से पूछताछ के लिए हिरासत की अवधि मंगलवार को चार दिन के लिए बढ़ा दी।

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने दिल्ली पुलिस और आरोपी की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुनाया।


सुनवाई के दौरान मोहम्मद जुबैर की ओर से वकील ने अदालत में कहा कि आरोपी ने ट्वीट में जिस तस्वीर का इस्तेमाल किया था वह 1983 में आई ऋषिकेश मुखर्जी की हिंदी फिल्म ‘किसी से ना कहना’ की है और उस फिल्म पर रोक नहीं लगी थी।

हालांकि, अदालत ने इस दलील को खारिज कर दिया।

न्यायाधीश ने तीन पन्नों के आदेश में कहा, ‘‘कथित ट्वीट को पोस्ट करने के लिए आरोपी मोहम्मद जुबैर द्वारा इस्तेमाल उसके मोबाइल फोन या लैपटॉप को उसके बताये अनुसार उसके बेंगलोर आवास से बरामद करना है और आरोपी ने अब तक सहयोग नहीं किया है, इसे ध्यान में रखते हुए आरोपी की चार दिन की पुलिस हिरासत की अनुमति दी जाती है क्योंकि आरोपी को बेंगलोर लेकर जाना है।’’ इससे पहले दिन में दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि जुबैर ने ‘‘ प्रसिद्धि पाने के लिए धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले विवादास्पद ट्वीट किए।’’
अधिकारियों ने कहा कि 2018 में किये गए एक ट्वीट से धार्मिक भावना आहत होने के आरोप में जुबैर को सोमवार को गिरफ्तार किया गया। पुलिस की इस कार्रवाई की विभिन्न क्षेत्र के लोगों ने निंदा की है जिसमें पत्रकारों के संगठन और विपक्षी दल शामिल हैं।
ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने मीडिया में प्रकाशित उस खबर को खारिज कर दिया जिसमें आरोप लगाया गया था कि जुबैर को पिछले महीने में खाते में 50 लाख रुपये प्राप्त हुए।
हालांकि डीसीपी मल्होत्रा ने कहा कि वे जुबैर को मिले धन के स्रोत को भी देख रहे हैं और अब तक की जांच के अनुसार उनके पास इस बात के सबूत हैं कि पिछले तीन महीनों में जुबैर के बैंक खाते में 50 लाख रुपये आए थे। यह पूछे जाने पर कि क्या सिन्हा का मामले से कोई लेना-देना है, अधिकारी ने कहा कि अभी तक उनकी संलिप्तता नहीं पाई गई है।



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