न्यायालय ने गुजरात दंगों पर ‘तुस्सी ग्रेट हो’ नहीं कहा, फैसले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए: कांग्रेस

punjabkesari.in Saturday, Jun 25, 2022 - 11:59 PM (IST)

नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) कांग्रेस ने वर्ष 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका को उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने को लेकर शनिवार को कहा कि शीर्ष अदालत ने सिर्फ एसआईटी की रिपोर्ट को बरकार रखा है तथा उसने ‘तुस्सी ग्रेट हो’ नहीं कहा है।

मुख्य विपक्षी ने दल यह भी कहा कि शीर्ष अदालत के निर्णय पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय के निर्णयों का कभी राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए, मगर भक्तों के मुताबिक उच्चतम न्यायालय ने मोदी/गुजरात सरकार के बारे में कहा है- "तुस्सी ग्रेट हो"! न्यायालय ने सिर्फ एसआईटी की रिपोर्ट को बरकरार रखा, जिसके मुताबिक कोई साजिश नहीं हुई और हिंसा सहज प्रतिक्रिया थी।’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘गुजरात दंगों में हत्या के कई दोषियों को नहीं भूलना चाहिए जिन पर दोष सिद्ध हुआ। उच्चतम न्यायालय ने केवल प्रधानमंत्री द्वारा साजिश या बयान की बात को खारिज किया है। इसका सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के रूप में सम्मान किया जाना चाहिए।’’
वहीं, कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर सवाल किया, ‘‘क्या मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल और राज्य सरकार को कभी भी जवाबदेह नहीं ठहराया जाएगा, भले ही राज्य को पूर्व नियोजित हिंसा और दंगों में झोंक दिया जाए?’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्या जिम्मेदारी केवल जिलाधिकारी और पुलिस उपायुक्त की है और राजनेताओं की कोई जिम्मेदारी नहीं है? तो फिर मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी क्या है?’’
सुरजेवाला ने कहा, ‘‘ क्या उच्चतम न्यायालय उस समय सही था, जब उसने कहा था - जब रोम जल रहा था, नीरो बंसी बजा रहा था- या यह अब सही है? क्या विफलता या निष्क्रियता अब कानून में कार्रवाई योग्य नहीं है? देश को सोचने दीजिये।’’
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इसी मामले पर गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के फैसले का राजनीतिकरण करना और गलत तरीके से राजनीतिक लाभ लेना ठीक नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने गुजरात की सरकार और तत्कालीन मुख्यमंत्री को कोई क्लीन चिट नहीं दी है। उन्होंने एसआईटी की जांच को बरकरार रखा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह सवाल नहीं उठेगा कि एसआईटी के समक्ष कितने गवाह नहीं पहुंचे, कितने गवाह लापता हुए? क्या अटल जी ने राजधर्म की याद नहीं दिलाई थी? क्या अटल जी उस वक्त गलत थे या फिर ये लोग सही हैं? अमित शाह जी को इसका जवाब देना चाहिए।’’
दरअसल, गृह मंत्री ने एक साक्षात्कार में न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा है, ‘‘उच्चतम न्यायालय के निर्णय से ये फिर एक बार सिद्ध हुआ है कि नरेंद्र मोदी जी पर लगाए गये आरोप एक राजनीतिक षड्यंत्र था। मोदी जी बिना एक शब्द बोले, सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह 18-19 साल तक सहन करके लड़ते रहे। अब सत्य सोने की तरह चमकता हुआ बाहर आया है, यह गर्व की बात है।’’
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
न्यायालय ने इसके साथ ही कहा कि इन आरोपों के समर्थन में ठोस तथ्य उपलब्ध नहीं हैं कि 2002 के गोधरा दंगों को गुजरात में सर्वोच्च स्तर पर रची गई आपराधिक साजिश के कारण पूर्व-नियोजित घटना कहा जाए।

यह याचिका गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने दायर की थी।

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