एनसीपीसीआर ने मनोरंजन उद्योग में बाल कलाकारों की सुरक्षा के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किए

punjabkesari.in Saturday, Jun 25, 2022 - 05:29 PM (IST)

नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सिनेमा, टीवी, रियलिटी शो, सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म से जुड़े बाल कलाकारों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देशों का मसौदा तैयार किया है, ताकि कामकाज का स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करते हुए उन कलाकारों को शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव से मुक्ति दिलाई जा सके।

एनसीपीसीआर ने इसमें कहा है कि किसी भी नाबालिग को लगातार 27 दिनों से अधिक काम नहीं करना चाहिए और बच्चे की आय का 20 प्रतिशत सावधि जमा खाते में जमा करना होगा।

मसौदा नियामक दिशानिर्देशों के तहत निर्माताओं को किसी शूटिंग में बच्चे को शामिल करने के लिए संबंधित जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति प्राप्त करने की जरूरत होगी, जिसमें इस बात का डिस्क्लेमर देना होगा कि बच्चों के शोषण या उत्पीड़न से रोकने के उपाय सुनिश्चित किये गये हैं।

मसौदा यह निर्दिष्ट करता है कि किसी भी बच्चे को लगातार 27 दिनों से अधिक काम करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। मसौदे के अनुसार, बच्चे को प्रत्येक तीन घंटे के बाद एक ब्रेक देना होगा और प्रतिदिन उसे एक से अधिक पाली में काम नहीं कराया जाएगा। इतना ही नहीं, बाल कलाकार को बंधुआ मजदूर प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम, 1976 के तहत बंधुआ मजदूरी के लिए कोई करार नहीं किया जाएगा।
मसौदा दिशानिर्देश कहता है कि निर्माता को यह सुनिश्चित करना होगा कि शूटिंग में लगे बच्चों की स्कूली शिक्षा प्रभावित न हो। साथ ही, मनोरंजन उद्योग में व्यस्तता के कारण स्कूल में अनुपस्थित रहे बच्चे को निर्माता द्वारा नियुक्त एक निजी ट्यूटर द्वारा पढ़ाया जाएगा।

मसौदा दिशानिर्देशों के अनुसर, प्रोडक्शन इकाइयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि बाल कलाकारों के लिए काम का माहौल सुरक्षित हो और उन्हें हानिकारक प्रकाश, परेशान करने वाले या हानिकारक सौंदर्य प्रसाधनों के संपर्क में नहीं आना चाहिए।

इसके अनुसार, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सुविधाएं प्रत्येक बच्चे की उम्र और जरूरतों के लिए उपयुक्त हों और उन्हें वयस्कों, विशेष रूप से विपरीत लिंग के साथ ड्रेसिंग स्पेस या कमरे साझा करने नहीं दिया जाना चाहिए।

मसौदा दिशानिर्देशों में कहा गया है कि बच्चों को शराब, धूम्रपान या किसी भी असामाजिक गतिविधि और आपराधिक व्यवहार में लिप्त नहीं दिखाया जाना चाहिए।

इसके अनुसार, किसी भी बच्चे को नग्नता से जुड़ी किसी भी स्थिति में प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए और बाल शोषण के शिकार लोगों पर आधारित कार्यक्रमों में संवेदनशीलता दिखायी जानी चाहिए।

गौरतलब है कि 2011 में पैनल द्वारा जारी पिछले दिशा-निर्देशों के बाद से, संबंधित कानूनों में कई संशोधन हुए हैं। साथ ही, किशोर न्याय अधिनियम, 2015, बाल श्रम संशोधन अधिनियम, 2016, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमावली, 2021 के नियमों के तहत बच्चों को अपराधों से बचाने के लिए कुछ नए कानून बनाए गए हैं।

मसौदे में कहा गया है, ‘‘इसलिए, अन्य प्लेटफार्म को इन दिशानिर्देशों के दायरे में लाने की आवश्यकता महसूस की गई है।’’


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