दूरसंचार विभाग ने डिजाइन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना शुरू की, पीएलआई को एक साल बढ़ाया

Monday, Jun 20, 2022 - 08:57 PM (IST)

नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) दूरसंचार विभाग ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की अवधि एक साल के लिए बढ़ाने के साथ ही डिजाइन-आधारित विनिर्माताओं के लिए एक प्रोत्साहन योजना शुरू की है।
दूरसंचार विभाग ने सोमवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी। डिजाइन आधारित विनिर्माण के लिए प्रोत्साहन देना पीएलआई योजना का ही हिस्सा है जिसे 24 फरवरी, 2021 को अधिसूचित किया गया था।

बयान के मुताबिक, "5जी के लिए एक मजबूत परिवेश बनाने के उद्देश्य से केंद्रीय बजट 2022-23 में मौजूदा पीएलआई योजना के तहत डिजाइन-आधारित विनिर्माण के लिए एक योजना चलाने का प्रस्ताव रखा गया है। संबंधित पक्षों के साथ विचार-विमर्श के बाद दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए पीएलआई योजना के दिशानिर्देशों में संशोधन किया गया है ताकि अतिरिक्त प्रोत्साहन दरों के साथ डिजाइन आधारित विनिर्माण शुरू किया जा सके।"
इस योजना के लिए 21 जून से 20 जुलाई तक आवेदन किए जा सकेंगे। डिजाइन-आधारित विनिर्माताओं को प्रोत्साहन 4,000 करोड़ रुपये से दिया जाएगा जो कुल परिव्यय से बचा हुआ है।

इसके अलावा दूरसंचार विभाग ने चयनित पीएलआई आवेदकों सहित संबंधित पक्षों से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर मौजूदा पीएलआई योजना को एक साल तक बढ़ाने का फैसला भी किया है। मौजूदा पीएलआई लाभार्थियों को प्रोत्साहन के पहले साल के रूप में वित्त वर्ष 2021-22 या 2022-23 चुनने का विकल्प दिया जाएगा।

बयान में कहा गया, "दूरसंचार विभाग ने हितधारकों से मिले सुझावों के आधार पर मौजूदा सूची में 11 नए दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों को शामिल करने को भी मंजूरी दी है।"
विभाग ने 24 फरवरी, 2021 को पीएलआई योजना अधिसूचित की थी। इसके लिए गत 14 अक्टूबर को नोकिया, फॉक्सकॉन, आकाशस्थ टेक्नोलॉजीज, आईटीआई और एचएफसीएल समूह सहित कुल 31 कंपनियों को मंजूरी दी गई थी। इन कंपनियों ने वर्ष 2025-26 तक कुल 3,345 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है।
प्रोत्साहन योजना में रुचि रखने वाली कंपनियों को पात्र होने के लिए न्यूनतम वैश्विक राजस्व मानदंड को पूरा करना होगा। कंपनी एकल या एकाधिक योग्य उत्पादों के लिए निवेश करने का निर्णय ले सकती है।
यह योजना एमएसएमई के लिए न्यूनतम निवेश सीमा 10 करोड़ रुपये और गैर-एमएसएमई आवेदकों के लिए 100 करोड़ रुपये निर्धारित करती है। एमएसएमई के लिए आवंटन 1,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2,500 करोड़ रुपये कर दिया गया है।



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PTI News Agency

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