सरमा ने छोटे बच्चों के लिए मदरसा शिक्षा का किया विरोध

punjabkesari.in Sunday, May 22, 2022 - 11:19 PM (IST)

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने छोटे बच्चों के लिए मदरसा शिक्षा का विरोध करते हुए रविवार को कहा कि किसी भी धार्मिक संस्थान में प्रवेश उस उम्र में होना चाहिए जिसमें व्यक्ति अपने निर्णय खुद ले सके।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े साप्ताहिक ‘पांचजन्य’ और ‘ऑर्गेनाइजर’ के एक मीडिया सम्मेलन में सरमा ने कहा कि बच्चे मदरसे में जाने के लिए तैयार नहीं होंगे, यदि उन्हें बताया जाए कि वे वहां पढ़ने के बाद डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बन पाएंगे। उन्होंने दावा किया कि बच्चों को ऐसे धार्मिक स्कूलों में प्रवेश देना मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

सरमा ने कहा, ‘‘मदरसा, शब्द ही नहीं होना चाहिए। जब ​​तक यह मदरसा दिमाग में रहेगा, बच्चे कभी डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बन सकते। यदि आप किसी बच्चे को मदरसे में दाखिला देते समय पूछेंगे... कोई भी बच्चा तैयार नहीं होगा। बच्चों को उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन करके मदरसे में भर्ती कराया जाता है।’’
कार्यक्रम के बाद, सरमा ने अपनी टिप्पणी के बारे में समझाते हुए कहा कि मदरसों में शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि वे छात्रों को भविष्य में कुछ भी करने का विकल्प दे सकें। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘किसी भी धार्मिक संस्थान में प्रवेश उस उम्र में होना चाहिए, जिसमें वे अपने फैसले खुद ले सकें।’’
सरमा ने बाद में ट्वीट किया, ‘‘मैं हमेशा वहां मदरसों के नहीं होने की वकालत करता हूं जहां औपचारिक शिक्षा पर धार्मिक झुकाव को अधिक प्राथमिकता दी जाती है। प्रत्येक बच्चे को विज्ञान, गणित और आधुनिक शिक्षा के अन्य विषयों के ज्ञान से अवगत कराया जाएगा।’’
सरमा ने कार्यक्रम में कहा कि हर बच्चा औपचारिक शिक्षा पाने का हकदार है। भाजपा ने कहा, ‘‘आप चाहें तो घर पर घंटों कुरान पढ़ाएं, लेकिन स्कूल में बच्चा विज्ञान और गणित पढ़ाए जाने का हकदार है। हर बच्चे को विज्ञान, गणित और आधुनिक शिक्षा के अन्य विषयों के ज्ञान से अवगत कराया जाएगा।’’
सरमा ने यह टिप्पणी इस सवाल का जवाब देते हुए की कि मदरसों को शिक्षा प्रदान करने के लिए बेहतर कैसे बनाया जा सकता है, ताकि वहां से अधिक पेशेवर निकल सकें।
जब यह उल्लेखित किया गया कि मदरसों में जाने वाले छात्र प्रतिभाशाली होते हैं क्योंकि वे मौखिक रूप से कुरान याद करते हैं, तो सरमा ने कहा, ‘‘... अगर मदरसा जाने वाला बच्चा मेधावी है, तो यह उसकी हिंदू विरासत के कारण है ... एक समय में सभी मुसलमान हिंदू थे।’’
सरमा ने कहा कि असम में ‘‘36 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, जो तीन श्रेणियों में विभाजित है: स्वदेशी मुस्लिम, जिनकी संस्कृति हमारे समान है, धर्मांतरित मुसलमान - हम उन्हें देसी मुस्लिम कहते हैं, उनके घर के आंगन में अभी भी तुलसी का पौधा होता है और विस्थापित मुसलमान जो खुद को मिया मुसलमान बताते हैं।’’


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