मुठभेड़ में मौत: कई मामलों में उठ चुके हैं पुलिस की भूमिका पर सवाल

punjabkesari.in Sunday, May 22, 2022 - 03:52 PM (IST)

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) साल 2019 में हैदराबाद में एक पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार-हत्या मामले में चार संदिग्धों की कथित मुठभेड़ में मौत ही एकमात्र ऐसी घटना नहीं है, जिसमें पुलिस पर सवाल उठे हों। 2009 में देहरादून में हुई मुठभेड़ में एमबीए के एक छात्र की मौत और 1997 में दिल्ली के कनॉट प्लेस में गोलीबारी में दो लोगों की मौत सहित ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं।

हैदराबाद मुठभेड़ को लेकर उच्चतम के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में कहा कि पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर जानबूझकर गोलीबारी की थी, जिसमें मारे गए चार संदिग्धों में से तीन नाबालिग थे।

कुछ अन्य मुठभेड़ जिनमें पुलिस अधिकारियों को आयोग या अदालत ने कानून के दुरुपयोग में लिप्त पाया, उनमें सादिक जमाल की मुठभेड़ में मौत का मामला भी शामिल है जिसे गुजरात पुलिस ने गोली मार दी थी।

साल 2003 में, गुजरात पुलिस ने जमाल को गोली मार दी थी और दावा किया था कि उसे सूचना मिली थी की जमाल गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अन्य शीर्ष नेताओं पर हमले की योजना बना रहा था।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच के अनुसार, कथित फर्जी मुठभेड़ में पुलिस द्वारा जमाल को मार दिए जाने के साथ ही गुप्तचर ब्यूरो ने भी इसमें भूमिका निभाई थी। कई पुलिस निरीक्षकों और गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) के शीर्ष अधिकारियों से पूछताछ की गई और बाद में वे ''मुठभेड़'' के मामले में आरोपी बनाए गए।

सोहराबुद्दीन शेख के सहयोगी माने जाने वाले तुलसीराम प्रजापति को 2006 में एक कथित फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया गया था। सीबीआई के मुताबिक, गुजरात पुलिस ने जब प्रजापति को पकड़ा तब वह शेख और कौसर बी. के साथ था। प्रजापति की राजस्थान में गिरफ्तारी दिखाई गई थी और बाद में वह मारा गया।

इसी तरह, सोहराबुद्दीन शेख, जिसे गुजरात पुलिस ने आतंकवादी बताया था, उसे भी 2005 में गुजरात और राजस्थान पुलिस ने कथित फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था। शेख की पत्नी कौसर बी. लापता हो गई थी, और पुलिस ने कथित तौर पर उसे भी मार डाला था।
दिसंबर 2018 में, मुंबई की एक विशेष अदालत ने मामले में 21 पुलिसकर्मियों सहित सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया था।

वहीं, 15 जून 2004 को अहमदाबाद के पास एक मुठभेड़ में गुजरात पुलिस ने इशरत जहां, जावेद शेख, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर को मुठभेड़ में मार गिराया था। पुलिस ने दावा किया था कि वे आतंकवादी थे, जो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की योजना बना रहे थे।

उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि इशरत जहां को फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था। हालांकि, अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने मार्च 2021 में मामले में तीन पुलिस अधिकारियों को आरोपमुक्त कर दिया।

इसके अलावा गैंगस्टर छोटा राजन के कथित सहयोगी राम नारायण उर्फ ''लखन भैया'' की साल 2006 में मुंबई में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मौत, 2009 में देहरादून में एमबीए के छात्र रणबीर सिंह की मुठभेड़ में मौत सहित ऐसे कई मामले हैं, जिनमें पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ चुके हैं।

वहीं, 31 मार्च, 1997 के एक मामले में भी पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हुए थे, जिसमें अपराध शाखा के 10 पुलिसकर्मियों ने दिल्ली के कनॉट प्लेस में बाराखंभा रोड पर एक नीली सेडान कार पर गोलीबारी की थी, जिसके चलते उसमें सवार तीन में से दो लोगों-जगजीत सिंह और प्रदीप गोयल की मौत हो गई थी। मुठभेड़ में एक गैंगस्टर मोहम्मद यासीन को निशाना बनाया जाना था, जो ऐसे ही रंग की सेडान कार में सफर कर रहा था।
इस मामले में दस पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। हालांकि सजा समीक्षा बोर्ड की सिफारिश पर अक्टूबर 2020 में उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया।

साल 2019 की हैदराबाद मुठभेड़ में हाल ही में आयोग ने अपनी 387 पन्नों की रिपोर्ट में कहा कि पुलिस के इस बयान में बहुत सी विसंगतियां हैं कि दो संदिग्धों ने पुलिस पर मिट्टी और कीचड़ फेंका तथा पुलिस से हथियार छीनकर अंधाधुंध गोलीबारी की।

दरअसल, इस मामले में चार संदिग्धों - मोहम्मद आरिफ, चिंताकुंटा चेन्नाकेशवुलु, जोलू शिवा और जोलू नवीन को 29 नवंबर, 2019 को पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार-हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।

इसके बाद चारों संदिग्धों को पुलिस ने छह दिसंबर, 2019 को चटनपल्ली में उसी राजमार्ग पर मार गिराया, जहां 25 वर्षीय पशु चिकित्सक का जला हुआ शव मिला था।

पुलिस ने आरोप लगाया था कि 27 नवंबर, 2019 को महिला का अपहरण किया गया और फिर यौन उत्पीड़न कर उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस ने कहा था कि बाद में आरोपियों ने महिला के शव को जला दिया।



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