हां विदेश सेवा बदल गई है, इसे राष्ट्र हित की रक्षा करना कहते हैं : राहुल पर जयशंकर का निशाना
punjabkesari.in Saturday, May 21, 2022 - 05:07 PM (IST)

नयी दिल्ली, 21 मई (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अज्ञात यूरोपीय नौकरशाहों के हवाले से भारतीय विदेश सेवा को लेकर राहुल गांधी की टिप्पणी के संबंध में शनिवार को उन पर तीखा हमला किया।
गांधी ने कुछ यूरोपीय नौकरशाहों की टिप्पणी का हवाला दिया था कि ‘भारतीय विदेश सेवा बदल गई है और अहंकारी हो गई है।’
कांग्रेस नेता की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने ट्वीट किया कि भारतीय विदेश सेवा में बदलाव आत्मविश्वास का प्रतिबिंब है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हां, भारतीय विदेश सेवा बदल गई है। वे सरकार के आदेशों का पालन करते हैं। वे दूसरों के तर्कों का विरोध करते हैं।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘इसे अहंकार नहीं कहा जा सकता। यह आत्मविश्वास है। इसे राष्ट्र हित की रक्षा करना कहते हैं।’’
लंदन में ‘आइडियाज फॉर इंडिया’ सम्मेलन में, गांधी ने विभिन्न मुद्दों को लेकर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि भारत में ताकतवर लोग, एजेंसियां संस्थानों पर हमला कर रही हैं और उन पर ‘कब्जा’ कर रही हैं।
संवाद सत्र के दौरान गांधी ने भारतीय विदेश सेवा की भी आलोचना की। गांधी ने कहा, ‘‘मैंने यूरोप के कुछ नौकरशाहों से बात की, वे कह रहे थे कि भारतीय विदेश सेवा पूरी तरह बदल गई है, वे कुछ नहीं सुनते। वे अहंकारी हैं... कोई संवाद नहीं करते।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
गांधी ने कुछ यूरोपीय नौकरशाहों की टिप्पणी का हवाला दिया था कि ‘भारतीय विदेश सेवा बदल गई है और अहंकारी हो गई है।’
कांग्रेस नेता की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने ट्वीट किया कि भारतीय विदेश सेवा में बदलाव आत्मविश्वास का प्रतिबिंब है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हां, भारतीय विदेश सेवा बदल गई है। वे सरकार के आदेशों का पालन करते हैं। वे दूसरों के तर्कों का विरोध करते हैं।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘इसे अहंकार नहीं कहा जा सकता। यह आत्मविश्वास है। इसे राष्ट्र हित की रक्षा करना कहते हैं।’’
लंदन में ‘आइडियाज फॉर इंडिया’ सम्मेलन में, गांधी ने विभिन्न मुद्दों को लेकर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि भारत में ताकतवर लोग, एजेंसियां संस्थानों पर हमला कर रही हैं और उन पर ‘कब्जा’ कर रही हैं।
संवाद सत्र के दौरान गांधी ने भारतीय विदेश सेवा की भी आलोचना की। गांधी ने कहा, ‘‘मैंने यूरोप के कुछ नौकरशाहों से बात की, वे कह रहे थे कि भारतीय विदेश सेवा पूरी तरह बदल गई है, वे कुछ नहीं सुनते। वे अहंकारी हैं... कोई संवाद नहीं करते।’’
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