यह अतार्किक प्रतीत होता है कि टेलीफोन के तार से 11किलोवोल्ट बिजली प्रवाहित हुई: न्यायालय

punjabkesari.in Tuesday, May 17, 2022 - 07:55 PM (IST)

नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि यह पूरी तरह से अतार्किक प्रतीत होता है कि टेलीफोन के एक तार के जरिए 11 किलोवोल्ट बिजली प्रवाहित हुई और इसके संपर्क में आने पर वह (तार) पिघला तक नहीं।
न्यायालय ने लापरवाही बरतने के कारण हुई मौत के मामले में दो लोगों की दोषसिद्धि को निरस्त करते हुए यह कहा।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फरवरी 2017 के फैसले के खिलाफ दोनों याचिकाकर्ताओं की अपील को स्वीकार कर लिया। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के उस फैसले की पुष्टि की थी, जिसमें दोनों व्यक्तियों (याचिकाकर्ताओं) को दोषी करार दिया गया था और एक साल तथा तीन महीने की सजा सुनाई गई थी।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य के एक मामले में, जल्दबाजी में निष्कर्षों पर पहुंचने का खतरा होता है।
यह घटना नवंबर 2003 में हुई थी, जब अपने घर में टेलीविजन देख रहे एक व्यक्ति ने टीवी पर अचानक एक आवाज सुनी और जब वह आपस में जुड़े तारों को छुड़ाने के लिए उठा, तब उसे बिजली का झटका लगा और करंट लगने से उसकी मौत हो गई।
जांच के दौरान यह पाया गया है कि एक याचिकाकर्ता, जो टेलीफोन विभाग के एक कर्मचारी (दूसरे याचिकाकर्ता) की निगरानी में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करता है, ने खंभे पर काम करते समय टेलीफोन का तार खींच दिया।
बताया जाता है कि टेलीफोन का तार उखड़ गया और 11 किलोवोल्ट विद्युत लाइन पर गिर गया तथा टेलीफोन के तार से होकर बिजली का प्रवाह हुआ जिसके चलते यह घटना हुई।
यह आरोप है कि घटना याचिकाकर्ताओं के लापरवाही बरतने के चलते हुई।
पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘हम अपना यह अवलोकन दोहराते हैं कि यह सुनना पूरी तरह से अतार्किक लगता है कि (विद्युत के) संपर्क में आने पर पिघले बगैर टेलीफोन के एक तार से 11 किलोवोल्ट करंट प्रवाहित हुआ और जब यह करंट टीवी सेट से होकर गुजरा तब इससे विस्फोट नहीं हुआ और इसने समूचे घर की ‘वायरिंग’ को भी नहीं पिघलाया।’’
शीर्ष न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ताओं को दोषी करार देना परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर निर्भर करता है।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने यह भी पाया कि इस दलील में कोई दम नहीं नजर आता है कि टेलीफोन के तार से 11 किलोवोल्ट हाईटेंशन लाइन से विद्युत प्रवाहित कर सकते हैं और फौरन पिघला भी नहीं। ’’


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