जोड़ों की समस्या से ग्रस्त मरीज की उम्र 40 से कम हो तो घुटना बदलने की जरूरत नहीं होती : डॉक्टर
punjabkesari.in Sunday, Feb 13, 2022 - 10:05 PM (IST)
नयी दिल्ली, 13 फरवरी (भाषा) जोड़ों में दर्द और जकड़न की समस्या ‘ऑस्टियोआर्थराइटिस’ का सामना कर रहे 40 वर्ष से कम उम्र के रोगियों में घुटना बदलना नुकसानदेह है और बेहतरी के बजाए इससे नुकसान हो सकता है। डॉक्टरों ने इस बारे में आगाह करते हुए कहा है कि इसके बजाय जोड़ों की हड्डी को तैयार करने के लिए सर्जरी के जरिए लाभ मिल सकता है।
गुरुग्राम के पारस अस्पताल के कंसल्टेंट-ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर शुभम जोशी ने कहा कि ऑर्थोपेडिक सर्जन को उन्नत प्रशिक्षण और अस्पताल के बुनियादी ढांचे में समय के साथ प्रगति होने से सर्जरी के परिणामों में काफी सुधार हुआ है। हालांकि हड्डियों की सुरक्षा से बेहतर कुछ नहीं है।
एनएचएस हॉस्पिटल, जालंधर के सीनियर ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन और निदेशक डॉक्टर शुभांग अग्रवाल ने सुझाव दिया कि ‘कार्टिलेज रीजनरेशन’ जैसी सर्जरी इस समस्या से निपटने में मदद कर सकती हैं।
डॉक्टर ने कहा, ‘‘गठिया के शिकार ऐसे युवा रोगियों में घुटना बदलने की सर्जरी की आवश्यकता होती है, जिनके घुटने के जोड़ों वाले हिस्से में परिवर्तन होता है। हालांकि हम रोबोटिक सर्जरी करते हैं जिससे पूरी तरह से मिलान हो जाता है और प्रतिरोपण 30 साल तक टिकता है।’’
हालांकि, उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक और निदेशक डॉक्टर शुचिन बजाज ने कहा कि अगर समय पर इलाज किया जाए तो यह हड्डी को विकसित कर सकता है और घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी से बचा जा सकता है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
गुरुग्राम के पारस अस्पताल के कंसल्टेंट-ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर शुभम जोशी ने कहा कि ऑर्थोपेडिक सर्जन को उन्नत प्रशिक्षण और अस्पताल के बुनियादी ढांचे में समय के साथ प्रगति होने से सर्जरी के परिणामों में काफी सुधार हुआ है। हालांकि हड्डियों की सुरक्षा से बेहतर कुछ नहीं है।
एनएचएस हॉस्पिटल, जालंधर के सीनियर ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन और निदेशक डॉक्टर शुभांग अग्रवाल ने सुझाव दिया कि ‘कार्टिलेज रीजनरेशन’ जैसी सर्जरी इस समस्या से निपटने में मदद कर सकती हैं।
डॉक्टर ने कहा, ‘‘गठिया के शिकार ऐसे युवा रोगियों में घुटना बदलने की सर्जरी की आवश्यकता होती है, जिनके घुटने के जोड़ों वाले हिस्से में परिवर्तन होता है। हालांकि हम रोबोटिक सर्जरी करते हैं जिससे पूरी तरह से मिलान हो जाता है और प्रतिरोपण 30 साल तक टिकता है।’’
हालांकि, उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक और निदेशक डॉक्टर शुचिन बजाज ने कहा कि अगर समय पर इलाज किया जाए तो यह हड्डी को विकसित कर सकता है और घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी से बचा जा सकता है।
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