उच्चतम न्यायालय ने नीट में ओबीसी कोटा बरकरार रखा

punjabkesari.in Friday, Jan 21, 2022 - 09:23 AM (IST)

नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को यूजी और पीजी चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) में अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) सीटों में अन्य पिछड़ा वर्ग के वास्ते 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था बरकरार रखी है।
न्यायालय ने कहा कि योग्यता को प्रतिस्पर्धी परीक्षा में प्रदर्शन की संकीर्ण परिभाषा तक कमतर नहीं किया जा सकता क्योंकि यह सिर्फ समान अवसर प्रदान करती है।

मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए मौजूदा कोटा पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण की अनुमति को सही ठहराते हुए, पीठ ने कहा, “हम अभी भी महामारी के बीच में हैं और चिकित्सकों की भर्ती में किसी भी तरह की देरी महामारी का प्रबंधन करने की क्षमता को प्रभावित करेगी। इसलिए, प्रवेश प्रक्रिया में किसी और देरी से बचने और तुरंत काउंसलिंग शुरू करने की अनुमति देना आवश्यक है।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4), 15 (4) और 15 (5) समूह में पहचान के लिए इस्तेमाल होता है और यह आरक्षण नीति की तार्किकता में कोई बदलाव नहीं लाता है।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखने और इस वर्ष के लिए मौजूदा मानदंडों पर 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा की अनुमति देने के कारणों का विवरण देते हुए यह आदेश पारित किया।

पीठ ने कहा, ‘‘उपरोक्त चर्चा के मद्देनजर हम मानते हैं कि स्नातक (यूजी) और स्नातकोत्तर (पीजी) चिकित्सा और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रम के लिए एआईक्यू सीटों में ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण संवैधानिक रूप से मान्य है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘योग्यता को प्रतिस्पर्धी परीक्षा में प्रदर्शन की संकीर्ण परिभाषा तक कमतर नहीं किया जा सकता क्योंकि यह सिर्फ समान अवसर प्रदान करती है। प्रतियोगी परीक्षाएं शैक्षिक संसाधनों को आवंटित करने के लिए बुनियादी वर्तमान योग्यता का आकलन करती हैं, लेकिन किसी व्यक्ति की उत्कृष्टता, क्षमताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती हैं।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि महत्वपूर्ण रूप से, खुली प्रतियोगी परीक्षाएं सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक लाभ को नहीं दर्शाती हैं जो कुछ वर्गों को प्राप्त होता है और ऐसी परीक्षाओं में उनकी सफलता में योगदान देता है।

ईडब्ल्यूएस कोटा पर, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कोटा की वैधता पर याचिकाकर्ताओं का तर्क एआईक्यू सीटों में आरक्षण की अनुमति तक सीमित नहीं था।

पीठ ने कहा, ‘‘इसके बजाय, याचिकाकर्ताओं ने ईडब्ल्यूएस के निर्धारण के लिए मानदंड को चुनौती दी, जिसके लिए हमें न केवल मामले को विस्तार से सुनने की आवश्यकता होगी, बल्कि हमें सभी इच्छुक पक्षों को सुनने के लिए भी तैयार करना होगा। हालांकि, इस याचिका के लंबित होने के कारण काउंसलिंग प्रक्रिया में देरी को देखते हुए, हम ईडब्ल्यूएस श्रेणी की पहचान के लिए मौजूदा मानदंडों के साथ काउंसलिंग सत्र शुरू करने की अनुमति देना आवश्यक समझते हैं।”
उच्चतम न्यायालय ने 2021 की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातकोत्तर (नीट-पीजी) की रुकी हुई काउंसलिंग प्रक्रिया को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों को 27 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए दस प्रतिशत आरक्षण की मौजूदा सीमा के आधार पर फिर से शुरू करने का रास्ता सात जनवरी को साफ कर दिया था।

केन्द्र ने अजय भूषण पांडे, पूर्व वित्त सचिव, वीके मल्होत्रा, सदस्य सचिव, आईसीएसएसआर और केंद्र के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल की तीन सदस्यीय समिति का पिछले साल 30 नवंबर को गठन किया था।

समिति ने पिछले वर्ष 31 दिसंबर को केन्द्र को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था,‘‘ ईडब्ल्यूएस के लिए वर्तमान सकल वार्षिक पारिवारिक आय सीमा आठ लाख रुपये या उससे कम को बरकरार रखा जा सकता है। या अन्य शब्दों में, केवल वे परिवार जिनकी वार्षिक आय आठ लाख रुपये तक है केवल वे ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ पाने के पात्र होंगे।’’


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