रास में उठी आजादी की अलख जगाने वाले पत्र-पत्रिकाओं के लिए संग्रहालय बनाने की मांग
Friday, Dec 03, 2021 - 01:11 PM (IST)
नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के एक सदस्य ने शुक्रवार को उन पत्र-पत्रिकाओं के लिए एक संग्रहालय बनाने की मांग की जिन्होंने 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने से पहले आजादी की अलख जगाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
शून्यकाल में भाजपा के राकेश सिन्हा ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आम तौर पर आजादी की बात करने पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर ही ध्यान केंद्रित होता है, लेकिन कई पत्र पत्रिकाओं, पत्रकारों और साहित्यकारों ने भी आजादी की अलख जगाने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उन्होंने साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलन को धार दी।
उन्होंने कहा कि दीप प्रकाशन का ‘स्वराज्य’ अखबार, नागेश्वर राव पुतलू की ‘आंध्र’ पत्रिका, सच्चिदानंद सिन्हा का ‘हिंदुस्तान रिव्यू’, एनीबेसेंट का ‘न्यू इंडिया’, बाल गंगाधर तिलक का ‘केसरी’ अखबार इनमें से कुछ अहम नाम हैं। उन्होंने कहा कि डॉ के बी हेडगेवार ने ‘स्वातंत्र्य’ अखबार निकाला जिसे नौ माह में ही ब्रिटिश सरकार के कोप की वजह से बंद करना पड़ा वहीं ‘हिंदी प्रदीप’ अखबार को दमन के कारण 1877 से 1910 तक तक दस बार प्रिंटिंग प्रेस की जगह बदलना पड़ा था।
उन्होंने कहा ‘‘ आज हम आजादी की 75वीं सालगिरह के करीब हैं और आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इस जश्न में हमें ऐेसे साहित्यकारों, पत्र-पत्रिकाओं और पत्रकारों को भी शामिल करना चाहिए। प्रकाशन विभाग को और नेशनल बुक ट्रस्ट को इन पर मोनोग्राफ भी जारी करना चाहिए। इन अखबारों के लिए एक संगहालय भी बनाया जाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी इनसे प्रेरणा ले सके।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
शून्यकाल में भाजपा के राकेश सिन्हा ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आम तौर पर आजादी की बात करने पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर ही ध्यान केंद्रित होता है, लेकिन कई पत्र पत्रिकाओं, पत्रकारों और साहित्यकारों ने भी आजादी की अलख जगाने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उन्होंने साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलन को धार दी।
उन्होंने कहा कि दीप प्रकाशन का ‘स्वराज्य’ अखबार, नागेश्वर राव पुतलू की ‘आंध्र’ पत्रिका, सच्चिदानंद सिन्हा का ‘हिंदुस्तान रिव्यू’, एनीबेसेंट का ‘न्यू इंडिया’, बाल गंगाधर तिलक का ‘केसरी’ अखबार इनमें से कुछ अहम नाम हैं। उन्होंने कहा कि डॉ के बी हेडगेवार ने ‘स्वातंत्र्य’ अखबार निकाला जिसे नौ माह में ही ब्रिटिश सरकार के कोप की वजह से बंद करना पड़ा वहीं ‘हिंदी प्रदीप’ अखबार को दमन के कारण 1877 से 1910 तक तक दस बार प्रिंटिंग प्रेस की जगह बदलना पड़ा था।
उन्होंने कहा ‘‘ आज हम आजादी की 75वीं सालगिरह के करीब हैं और आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इस जश्न में हमें ऐेसे साहित्यकारों, पत्र-पत्रिकाओं और पत्रकारों को भी शामिल करना चाहिए। प्रकाशन विभाग को और नेशनल बुक ट्रस्ट को इन पर मोनोग्राफ भी जारी करना चाहिए। इन अखबारों के लिए एक संगहालय भी बनाया जाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी इनसे प्रेरणा ले सके।’’
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