‘जनसांख्यिकीय संतुलन’ बिगड़ने के कारण बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाया गया: महानिदेशक

punjabkesari.in Tuesday, Nov 30, 2021 - 09:08 PM (IST)

नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह ने मंगलवार को कहा कि असम और पश्चिम बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्यों में ‘जनसांख्यिकीय संतुलन’ बिगड़ गया है और शायद यही कारण है कि केंद्र ने हाल में बल के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाया है।

सिंह ने उन आरोपों को खारिज कर दिया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की अक्टूबर की अधिसूचना (जिसने असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा से पूर्व के 15 किलोमीटर के बजाए 50 किलोमीटर के दायरे में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी करने के लिए अधिकार क्षेत्र को बढ़ाया था) ने स्थानीय पुलिस व्यवस्था में हस्तक्षेप किया है। उन्होंने कहा कि बीएसएफ ‘‘समानांतर पुलिस के रूप में कार्य करने’’ की कोशिश नहीं कर रहा और जांच और आरोप पत्र दाखिल करने की शक्तियां राज्य के पास बनी हुई हैं।

बीएसएफ के महानिदेशक (डीजी) ने कहा, ‘‘समय के साथ, आपने देखा होगा कि चाहे वह असम हो या पश्चिम बंगाल, जनसांख्यिकीय संतुलन काफी हद तक गड़बड़ा गया है। यह जिस भी कारण से बदला है...यह बदल गया है और कुछ राज्यों में आंदोलन हुए हैं और इन कारणों से कई बार असंतोष के स्वर उभरे हैं...यहां तक ​​कि कुछ सीमावर्ती जिलों में ‘वोटिंग पैटर्न’ भी बदल गया है।’’
सिंह ने बीएसएफ के 57वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘शायद इसलिए सरकार ने बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र 15 किलोमीटर से 50 किलोमीटर में बदल दिया है और अब वह घुसपैठियों को पकड़ने में राज्य पुलिस की मदद और पूरक के रूप में कार्य कर सकता है।’’ उन्होंने कहा कि नए कदम से बीएसएफ और राज्य पुलिस को नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी जैसे सीमा पार से होने वाले अपराधों को प्रभावी ढंग से रोकने में मदद मिलेगी।

सीमा सुरक्षा बल पश्चिम में पाकिस्तान और देश के पूर्व में बांग्लादेश के साथ भारतीय मोर्चों पर 6,300 किलोमीटर से अधिक की सुरक्षा करता है। सिंह ने कहा कि ‘‘बीएसएफ की स्थानीय पुलिस के कामकाज में दखल देने या समानांतर पुलिस के रूप में काम करने की कोशिश का कोई विचार नहीं है।’’
पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र पूर्व के 15 किलोमीटर दूरी से बढ़ाकर 50 किलोमीटर कर दिया गया, गुजरात में यह सीमा घटाकर 80 किलोमीटर से 50 किलोमीटर कर दी गई जबकि राजस्थान में सीमा को 50 किलोमीटर अपरिवर्तित रखा गया। इस मुद्दे पर विवाद शुरू हो गया क्योंकि विपक्ष शासित पंजाब और पश्चिम बंगाल ने इस कदम की निंदा की और उनकी संबंधित विधानसभाओं ने केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया।



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