इंजीनियर महासंघ ने बिजली संशोधन विधेयक वापस लेने की मांग की
Thursday, Nov 25, 2021 - 04:50 PM (IST)
नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) अखिल भारतीय विद्युत इंजीनियर महासंघ (एआईपीईएफ) ने सरकार से बिजली संशोधन विधेयक 2021 को वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि विधेयक लाने के पहले सार्वजनिक परामर्श की नीति का अनुसरण करना चाहिए।
एआईपीईएफ ने बिजली संशोधन अधिनियम 2021 के संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की योजना के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दखल देने का अनुरोध भी किया है।
महासंघ की तरफ से जारी एक बयान के मुताबिक उसके चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने इस संबंध में प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है। इसमें प्रधानमंत्री से अधिकारियों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि संसद में विधेयक पेश करने के पहले पूर्व-विधायी परामर्श नीति का पालन किया जाए।
दुबे ने कहा है कि अगर इस विधेयक को संसद में पेश करने की योजना से सरकार पीछे नहीं हटती है तो देश भर के करीब 15 लाख बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर देशव्यापी आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
इस बारे में भावी रणनीति तय करने के लिए तीन दिसंबर को राष्ट्रीय बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर समन्वय समिति की एक बैठक बुलाई गई है।
एआईपीईएफ की बिजली संशोधन विधेयक के बारे में यह आपत्ति है कि सरकार ने वर्ष 2014 में जारी पूर्व-विधायी परामर्श नीति का इस विधेयक के संदर्भ में पालन नहीं किया है। इस नीति के हिसाब से कोई भी विधेयक लाने के पहले सरकार को उसका प्रारूप लेकर आना चाहिए और फिर उस पर सार्वजनिक राय लेनी चाहिए।
एआईपीईएफ के प्रमुख ने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक के मामले में इनमें से किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में इस विधेयक को संसद में पेश नहीं करना चाहिए।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
एआईपीईएफ ने बिजली संशोधन अधिनियम 2021 के संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की योजना के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दखल देने का अनुरोध भी किया है।
महासंघ की तरफ से जारी एक बयान के मुताबिक उसके चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने इस संबंध में प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है। इसमें प्रधानमंत्री से अधिकारियों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि संसद में विधेयक पेश करने के पहले पूर्व-विधायी परामर्श नीति का पालन किया जाए।
दुबे ने कहा है कि अगर इस विधेयक को संसद में पेश करने की योजना से सरकार पीछे नहीं हटती है तो देश भर के करीब 15 लाख बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर देशव्यापी आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
इस बारे में भावी रणनीति तय करने के लिए तीन दिसंबर को राष्ट्रीय बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर समन्वय समिति की एक बैठक बुलाई गई है।
एआईपीईएफ की बिजली संशोधन विधेयक के बारे में यह आपत्ति है कि सरकार ने वर्ष 2014 में जारी पूर्व-विधायी परामर्श नीति का इस विधेयक के संदर्भ में पालन नहीं किया है। इस नीति के हिसाब से कोई भी विधेयक लाने के पहले सरकार को उसका प्रारूप लेकर आना चाहिए और फिर उस पर सार्वजनिक राय लेनी चाहिए।
एआईपीईएफ के प्रमुख ने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक के मामले में इनमें से किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में इस विधेयक को संसद में पेश नहीं करना चाहिए।
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