सरकारी अस्पतालों में रिक्तियों को भरने के लिए दायर यचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार जवाब दें :उच्च न्यायालय
punjabkesari.in Thursday, Nov 25, 2021 - 12:43 AM (IST)
नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से कहा कि वह यहां के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों और पैरामेडिकल कर्मियों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू करे।
अदालत दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों और पैरामेडिकल कर्मियों की भारी कमी को लेकर पूर्व विधायक और सामाजिक कार्यकर्ता डा. नंद किशोर गर्ग की जनहित याचिका पर सुनवाई कर दी थी। इस याचिका में सरकारी अस्पतालों की रिक्तियों को त्वरित आधार पर भरने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘आप (प्राधिकारी) भर्ती की प्रक्रिया शुरू करें और उन्हें नियुक्त करें। कुछ गति दिखाएं। इसकी जरूरत है।’’
पीठ ने कहा कि अगर आपको उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं तो जरूरी नहीं है कि आप सभी पदों पर भर्ती करें । प्रक्रिया शुरू करें। आप यह नहीं कह सकते कि प्रक्रिया कभी शरू नहीं करेंगे।
अदालत ने याचिका पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली, सफदरजंग अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल को नोटिस जारी किये और उन्हें जवाब देने का निर्देश दिया। इस मामले में अब 12 जनवरी को आगे सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे अधिवक्ता शशांक देव सुधी ने दावा किया कि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों और पैरामेडिकल कर्मियों की भारी कमी है जिसकी वजह से निर्दोष और गरीब मरीजों को निजी अस्पतालों में जाना पड़ रहा है और भारी राशि खर्च करनी पड़ रही है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सरकारी प्राधिकारियों ने अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया, ‘‘ सूचना के अधिकार के तहत सात फरवरी 2020 को प्राप्त जानकारी के मुताबिक दिल्ली के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत 1838 चिकित्सक कार्यरत हैं जबकि 745 पद खाली हैं। इसी प्रकार दो नवंबर 2021 को प्राप्त आरटीआई जवाब के मुताबिक सरकारी अस्पतालों जैसे गुरु तेग बहादुर अस्पताल में पैरामेडिकल कर्मियों के 475 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 135 पद खाली हैं।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
अदालत दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों और पैरामेडिकल कर्मियों की भारी कमी को लेकर पूर्व विधायक और सामाजिक कार्यकर्ता डा. नंद किशोर गर्ग की जनहित याचिका पर सुनवाई कर दी थी। इस याचिका में सरकारी अस्पतालों की रिक्तियों को त्वरित आधार पर भरने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘आप (प्राधिकारी) भर्ती की प्रक्रिया शुरू करें और उन्हें नियुक्त करें। कुछ गति दिखाएं। इसकी जरूरत है।’’
पीठ ने कहा कि अगर आपको उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं तो जरूरी नहीं है कि आप सभी पदों पर भर्ती करें । प्रक्रिया शुरू करें। आप यह नहीं कह सकते कि प्रक्रिया कभी शरू नहीं करेंगे।
अदालत ने याचिका पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली, सफदरजंग अस्पताल और राम मनोहर लोहिया अस्पताल को नोटिस जारी किये और उन्हें जवाब देने का निर्देश दिया। इस मामले में अब 12 जनवरी को आगे सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे अधिवक्ता शशांक देव सुधी ने दावा किया कि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों और पैरामेडिकल कर्मियों की भारी कमी है जिसकी वजह से निर्दोष और गरीब मरीजों को निजी अस्पतालों में जाना पड़ रहा है और भारी राशि खर्च करनी पड़ रही है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सरकारी प्राधिकारियों ने अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया, ‘‘ सूचना के अधिकार के तहत सात फरवरी 2020 को प्राप्त जानकारी के मुताबिक दिल्ली के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत 1838 चिकित्सक कार्यरत हैं जबकि 745 पद खाली हैं। इसी प्रकार दो नवंबर 2021 को प्राप्त आरटीआई जवाब के मुताबिक सरकारी अस्पतालों जैसे गुरु तेग बहादुर अस्पताल में पैरामेडिकल कर्मियों के 475 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 135 पद खाली हैं।’’
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