दिल्ली में प्रदूषण संबंधी अध्ययन के लिए डीपीसीसी ने आईआईटी कानपुर के साथ किया करार
punjabkesari.in Saturday, Oct 23, 2021 - 09:34 AM (IST)

नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने दिल्ली में प्रदूषण के प्रभावी प्रबंधन के लिए प्रदूषक तत्वों के वास्तविक समय में विभाजन संबंधी अध्ययन के लिए आईआईटी कानपुर के साथ शुक्रवार को एक समझौते पत्र पर हस्ताक्षर किए।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी और कहा कि यह अध्ययन 23 महीने तक चलेगा। उन्होंने कहा कि रियल टाइम आधार पर प्रदूषण के स्रोत को समझने के लिए यह अपनी तरह का पहला प्रयास होगा।
उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘कानपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने फरवरी में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समक्ष एक प्रस्तुति दी गयी थी। प्रदूषकों के विभाजन संबंधी रियल टाइम अध्ययन के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गयी है तथा आईआईटी कानपुर के साथ एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं।’’
उन्होंने कहा,‘‘ अध्ययन के बाद रिपोर्ट दी जाएगी और फिर सरकार उसके मुताबिक समाधान खोजेगी।’’
राय ने कहा कि वैसे तो इस बारे में कई अध्ययन हुए हैं लेकिन दिल्ली में प्रदूषण के रियल टाइम स्रोत के बारे में सही-सही जानकारी नहीं है और अध्ययन से इस स्थिति के बारे में समाधान खोजने में मदद मिलेगी।
बाद में उन्होंने सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा, ‘‘ केजरीवाल सरकार उन्नत प्रौद्योगिकी पर आधारित ऐसे हल को लागू करने वाली पूरे देश में पहली सरकार है। ’’
इस कदम को दिल्ली मंत्रिमंडल ने इस महीने मंजूरी दी थी।
पर्यावरण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 12 करोड़ रूपये की इस परियोजना में दिल्ली में किसी भी स्थान पर वायु प्रदूषण में वृद्धि के लिए जिम्मेदार कारकों की पहचान करने में मदद मिलेगी चाहे वे वाहनों के कारण हों, धूल, कचरा जलाना या उद्योगों से निकलने वाला धुंआ हो या कुछ और।
उन्होंने बताया कि इसके तहत एक चलती-फिरती प्रयोगशाला दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में जाएगी तथा एक बड़ी जगह होगी जहां जरूरी कार्रवाई के लिए आंकड़ों का संग्रहण एवं व्याख्या की जाएगी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी और कहा कि यह अध्ययन 23 महीने तक चलेगा। उन्होंने कहा कि रियल टाइम आधार पर प्रदूषण के स्रोत को समझने के लिए यह अपनी तरह का पहला प्रयास होगा।
उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘कानपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने फरवरी में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समक्ष एक प्रस्तुति दी गयी थी। प्रदूषकों के विभाजन संबंधी रियल टाइम अध्ययन के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गयी है तथा आईआईटी कानपुर के साथ एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं।’’
उन्होंने कहा,‘‘ अध्ययन के बाद रिपोर्ट दी जाएगी और फिर सरकार उसके मुताबिक समाधान खोजेगी।’’
राय ने कहा कि वैसे तो इस बारे में कई अध्ययन हुए हैं लेकिन दिल्ली में प्रदूषण के रियल टाइम स्रोत के बारे में सही-सही जानकारी नहीं है और अध्ययन से इस स्थिति के बारे में समाधान खोजने में मदद मिलेगी।
बाद में उन्होंने सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा, ‘‘ केजरीवाल सरकार उन्नत प्रौद्योगिकी पर आधारित ऐसे हल को लागू करने वाली पूरे देश में पहली सरकार है। ’’
इस कदम को दिल्ली मंत्रिमंडल ने इस महीने मंजूरी दी थी।
पर्यावरण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 12 करोड़ रूपये की इस परियोजना में दिल्ली में किसी भी स्थान पर वायु प्रदूषण में वृद्धि के लिए जिम्मेदार कारकों की पहचान करने में मदद मिलेगी चाहे वे वाहनों के कारण हों, धूल, कचरा जलाना या उद्योगों से निकलने वाला धुंआ हो या कुछ और।
उन्होंने बताया कि इसके तहत एक चलती-फिरती प्रयोगशाला दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में जाएगी तथा एक बड़ी जगह होगी जहां जरूरी कार्रवाई के लिए आंकड़ों का संग्रहण एवं व्याख्या की जाएगी।
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