कक्षा 12वीं परीक्षा: मूल्यांकन योजना का विधिवत पालन किया गया है: सीबीएसई ने न्यायालय को बताया

punjabkesari.in Wednesday, Oct 20, 2021 - 08:50 PM (IST)

नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसने बारहवीं कक्षा के उन छात्रों के अंकों के मूल्यांकन में मूल्यांकन योजना का “विधिवत पालन” किया है, जिनकी परीक्षा कोविड-19 महामारी के कारण रद्द कर दी गई थी।

सीबीएसई की ओर से पेश हुए वकील ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ के समक्ष यह बयान दिया। पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें आरोप लगाया गया है कि बोर्ड 12वीं कक्षा की परीक्षा के परिणाम से संबंधित विवाद निवारण तंत्र की प्रक्रिया को उपयुक्त रूप से क्रियान्वित करने में विफल रहा है।
सीबीएसई का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने पीठ को बताया, ‘‘हमने नीति का विधिवत पालन किया है।’’
उच्चतम न्यायालय ने 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए सीबीएसई और काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस (सीआईएससीई) के फार्मूले को 17 जून को स्वीकार कर लिया था। केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया था कि सीबीएसई 12वीं कक्षा के छात्रों के अंकों के मूल्यांकन के लिए 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के नतीजों के आधार पर क्रमश: 30:30:40 का फॉर्मूला अपनाएगा।

बुधवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से एक याचिका में पेश हुए वकील ने चार्ट का जिक्र किया और दावा किया कि 30:30:40 फॉर्मूले के अनुसार छात्रों में से एक के अंकों के बीच लगभग 24 प्रतिशत का अंतर है।
पीठ ने कहा, ‘‘यह मूल्यांकन योजना है। क्या ऐसा नहीं है? विद्यालय का प्रदर्शन भी प्रासंगिक है।’’
पीठ ने सीबीएसई की ओर से पेश वकील से याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाई गई शिकायत के बारे में पूछा। सीबीएसई के वकील ने इस मामले में बोर्ड द्वारा दायर एक हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि अंकों में भिन्नता दिखाने वाला चार्ट मूल्यांकन नीति के ‘‘गलत पढ़ने’’ के आधार पर तैयार किया गया है।

कुछ याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि उनके स्कूल ने भी इस पहलू पर सीबीएसई से शिकायत की है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वह सीबीएसई के हलफनामे पर प्रत्युत्तर दाखिल करेंगे जिसके बाद पीठ ने उन्हें इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया।

शीर्ष अदालत ने आठ अक्टूबर को सीबीएसई से इस मुद्दे पर दो अलग-अलग याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने को कहा था।



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