यस बैंक ने उल्लेखनीय प्रगति दिखाई, स्थिर होने में दो और साल लगेंगे : रजनीश कुमार
punjabkesari.in Wednesday, Oct 20, 2021 - 06:00 PM (IST)
नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर (भाषा) भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि संकटग्रस्त यस बैंक ने पिछले साल एसबीआई के नेतृत्व में निवेशकों के समूह द्वारा उसके प्रबंधन को संभालने के बाद उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है और इसे स्थिर होने में दो साल और लग सकते हैं।
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘जिस स्थिति में यस बैंक था, आपको उसे स्थिर करने के लिए कम से कम तीन साल का समय देना होगा।’’ ''द कस्टोडियन ऑफ ट्रस्ट'' नामक अपनी पुस्तक में, कुमार ने कहा कि एसबीआई यस बैंक के लिए अंतिम सहारा बनने के लिए अनिच्छुक था, लेकिन परिस्थितियों ने इसे देश के चौथे सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक को बचाने के लिए मजबूर किया।
उन्होंने कहा, ‘‘शुरुआत में मुझे लगा था कि छह बैंकों के विलय के बाद एसबीआई एक और बैंक को बचाने की जिम्मेदारी लेने से बचेगा। एसबीआई द्वारा आखिरी ‘बेलआउट’ (1995 में) उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में काम करने वाला काशी नाथ सेठ बैंक था, जो एक परिवार के स्वामित्व वाला बैंक था।
उन्होंने पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया (पीआरएचआई) द्वारा प्रकाशित पुस्तक में उल्लेख किया है कि आरबीआई का उनपर 13 मार्च, 2020 तक बैंक के लिए अन्य निवेशकों को खोजने का दबाव था।
पांच मार्च, 2020 को भारतीय रिज़र्व बैंक ने संकटग्रस्त यस बैंक पर रोक लगाते हुए निकासी की सीमा 50,000 रुपये तय कर दी। इसके बाद 13 मार्च को सरकार द्वारा अधिसूचित पुनर्गठन योजना के कारण 18 मार्च, 2020 को इस रोक को हटा लिया गया।
पुनर्गठन योजना के अनुसार, एसबीआई तीन साल की अवधि के लिए बैंक में अपनी हिस्सेदारी को 26 प्रतिशत से कम नहीं कर सकता है, जबकि अन्य निवेशकों और मौजूदा शेयरधारकों के पास यस बैंक में उनके 75 प्रतिशत के निवेश के लिए तीन साल की लॉक-इन अवधि होगी।
हालांकि, 100 से कम शेयरों वाले शेयरधारकों पर लॉक-इन अवधि लागू नहीं होगी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘जिस स्थिति में यस बैंक था, आपको उसे स्थिर करने के लिए कम से कम तीन साल का समय देना होगा।’’ ''द कस्टोडियन ऑफ ट्रस्ट'' नामक अपनी पुस्तक में, कुमार ने कहा कि एसबीआई यस बैंक के लिए अंतिम सहारा बनने के लिए अनिच्छुक था, लेकिन परिस्थितियों ने इसे देश के चौथे सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक को बचाने के लिए मजबूर किया।
उन्होंने कहा, ‘‘शुरुआत में मुझे लगा था कि छह बैंकों के विलय के बाद एसबीआई एक और बैंक को बचाने की जिम्मेदारी लेने से बचेगा। एसबीआई द्वारा आखिरी ‘बेलआउट’ (1995 में) उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में काम करने वाला काशी नाथ सेठ बैंक था, जो एक परिवार के स्वामित्व वाला बैंक था।
उन्होंने पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया (पीआरएचआई) द्वारा प्रकाशित पुस्तक में उल्लेख किया है कि आरबीआई का उनपर 13 मार्च, 2020 तक बैंक के लिए अन्य निवेशकों को खोजने का दबाव था।
पांच मार्च, 2020 को भारतीय रिज़र्व बैंक ने संकटग्रस्त यस बैंक पर रोक लगाते हुए निकासी की सीमा 50,000 रुपये तय कर दी। इसके बाद 13 मार्च को सरकार द्वारा अधिसूचित पुनर्गठन योजना के कारण 18 मार्च, 2020 को इस रोक को हटा लिया गया।
पुनर्गठन योजना के अनुसार, एसबीआई तीन साल की अवधि के लिए बैंक में अपनी हिस्सेदारी को 26 प्रतिशत से कम नहीं कर सकता है, जबकि अन्य निवेशकों और मौजूदा शेयरधारकों के पास यस बैंक में उनके 75 प्रतिशत के निवेश के लिए तीन साल की लॉक-इन अवधि होगी।
हालांकि, 100 से कम शेयरों वाले शेयरधारकों पर लॉक-इन अवधि लागू नहीं होगी।
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