धनशोधन मामले में समन रद्द करने की सांसद अभिषेक बनर्जी की याचिका में दम नहीं:ईडी ने अदालत से कहा
Tuesday, Sep 28, 2021 - 07:45 PM (IST)
नयी दिल्ली, 28 सितंबर (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि पश्चिम बंगाल में कथित कोयला घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में उसके समन को रद्द करने के अनुरोध वाली तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी की याचिका समय से पहले दायर की गई है और इसमें कोई दम नहीं है।
ईडी ने तर्क दिया कि बनर्जी और उनकी पत्नी रुजीरा समन को रद्द करने और पूछताछ के लिए जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं होने का अनुरोध कर रहे हैं और फिर यह भी दावा कर रहे हैं कि वे जांच के खिलाफ नहीं हैं और इसके रास्ते में नहीं आ रहे हैं।
ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति योगेश खन्ना के समक्ष कहा, '''' यह कुछ ऐसा कहने जैसा है कि मैं एक महिला से शादी नहीं कर रहा हूं, मैं केवल शादी का जश्न मना रहा हूं।''''
अदालत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें जारी किए गए 10 सितंबर के समन को चुनौती दी गई। साथ ही ईडी को उन्हें दिल्ली तलब नहीं करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया क्योंकि वे पश्चिम बंगाल के निवासी हैं।
एजेंसी ने बनर्जी दंपति को कुछ दस्तावेजों के साथ 21 सितंबर को दिल्ली में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा था। दंपति ने तर्क दिया कि वे कोलकाता के निवासी हैं और उन्हें यहां जांच में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
33 वर्षीय अभिषेक बनर्जी लोकसभा में डायमंड हार्बर सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं और तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं।
बनर्जी दंपति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि ईडी धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जांच करने की हकदार है और इस पर कोई विवाद नहीं है।
सिब्बल ने कहा, '''' मैं इस स्तर पर यह नहीं जानता कि क्या आप मुझसे एक आरोपी या गवाह के रूप में पूछताछ करना चाहते हैं। सीआरपीसी की धारा 160 के तहत, आप मुझसे उस पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र में पूछताछ करने के लिए बाध्य हैं जहां मैं रह रहा हूं।''''
सिब्बल ने ईडी द्वारा याचिका समय से पूर्व दायर करने संबंधी दलील का जवाब देते हुए कहा कि यह समन जारी करने के चरण में दायर की गई है।
उन्होंने कहा, ''''यह उनकी ओर से अहंकार का प्रश्न है ना कि मेरी तरफ से। उनके साथ मुद्दा यह है कि मैं भारत सरकार को कैसे चुनौती दे सकता हूं।''''
सिब्बल ने कहा, '''' आज वे दंपति को पूछताछ के लिए दिल्ली बुला रहे हैं और कल वे इन्हें मुंबई या केरल आने के लिए कह सकते हैं। क्या इस देश में कोई कानून है या नहीं।''''
इसका जवाब देते हुए मेहता ने कहा, ''''न्यायाधीश अखबार पढ़ते हैं और टीवी देखते हैं। जब भी कानून प्रवर्तन एजेंसियां कोलकाता जाती हैं, तो आप जानते हैं कि क्या होता है? वे अधिकारियों को रोकने के लिए घेराव और पथराव का सहारा लेते हैं। उनका एक पंक्ति तर्क है कि कोलकाता आओ, अगर आप आ सकते हो।''''
सिब्बल ने इसका कड़ा विरोध किया और कहा, ''''यहां राजनीतिक तर्क मत करिए, पत्थरों की बात मत करिए। कानूनी तर्क प्रस्तुत करें। जिस तरह से आपने कानून लागू करने वाली एजेंसियों का इस्तेमाल किया है, उसे देखें।''''
इस मामले में अब अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
ईडी ने तर्क दिया कि बनर्जी और उनकी पत्नी रुजीरा समन को रद्द करने और पूछताछ के लिए जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं होने का अनुरोध कर रहे हैं और फिर यह भी दावा कर रहे हैं कि वे जांच के खिलाफ नहीं हैं और इसके रास्ते में नहीं आ रहे हैं।
ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति योगेश खन्ना के समक्ष कहा, '''' यह कुछ ऐसा कहने जैसा है कि मैं एक महिला से शादी नहीं कर रहा हूं, मैं केवल शादी का जश्न मना रहा हूं।''''
अदालत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्हें जारी किए गए 10 सितंबर के समन को चुनौती दी गई। साथ ही ईडी को उन्हें दिल्ली तलब नहीं करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया क्योंकि वे पश्चिम बंगाल के निवासी हैं।
एजेंसी ने बनर्जी दंपति को कुछ दस्तावेजों के साथ 21 सितंबर को दिल्ली में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा था। दंपति ने तर्क दिया कि वे कोलकाता के निवासी हैं और उन्हें यहां जांच में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
33 वर्षीय अभिषेक बनर्जी लोकसभा में डायमंड हार्बर सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं और तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं।
बनर्जी दंपति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि ईडी धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जांच करने की हकदार है और इस पर कोई विवाद नहीं है।
सिब्बल ने कहा, '''' मैं इस स्तर पर यह नहीं जानता कि क्या आप मुझसे एक आरोपी या गवाह के रूप में पूछताछ करना चाहते हैं। सीआरपीसी की धारा 160 के तहत, आप मुझसे उस पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र में पूछताछ करने के लिए बाध्य हैं जहां मैं रह रहा हूं।''''
सिब्बल ने ईडी द्वारा याचिका समय से पूर्व दायर करने संबंधी दलील का जवाब देते हुए कहा कि यह समन जारी करने के चरण में दायर की गई है।
उन्होंने कहा, ''''यह उनकी ओर से अहंकार का प्रश्न है ना कि मेरी तरफ से। उनके साथ मुद्दा यह है कि मैं भारत सरकार को कैसे चुनौती दे सकता हूं।''''
सिब्बल ने कहा, '''' आज वे दंपति को पूछताछ के लिए दिल्ली बुला रहे हैं और कल वे इन्हें मुंबई या केरल आने के लिए कह सकते हैं। क्या इस देश में कोई कानून है या नहीं।''''
इसका जवाब देते हुए मेहता ने कहा, ''''न्यायाधीश अखबार पढ़ते हैं और टीवी देखते हैं। जब भी कानून प्रवर्तन एजेंसियां कोलकाता जाती हैं, तो आप जानते हैं कि क्या होता है? वे अधिकारियों को रोकने के लिए घेराव और पथराव का सहारा लेते हैं। उनका एक पंक्ति तर्क है कि कोलकाता आओ, अगर आप आ सकते हो।''''
सिब्बल ने इसका कड़ा विरोध किया और कहा, ''''यहां राजनीतिक तर्क मत करिए, पत्थरों की बात मत करिए। कानूनी तर्क प्रस्तुत करें। जिस तरह से आपने कानून लागू करने वाली एजेंसियों का इस्तेमाल किया है, उसे देखें।''''
इस मामले में अब अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी।
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