आर्थिक स्थिति के आधार पर मौलिक अधिकारों तक पहुंच से वंचित नहीं किया जा सकता : न्यायमूर्ति भट्ट

punjabkesari.in Saturday, Sep 25, 2021 - 10:55 PM (IST)

नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र भट्ट ने शनिवार को कहा कि लोगों को उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर मौलिक अधिकारों तक पहुंच से वंचित नहीं किया जा सकता है और यह उचित समय है कि राज्य न्यायसंगतता, समानता और गैर-भेदभाव के सिद्धांतों के सार्वभौमिक प्रवर्तन को सुनिश्चित करने के लिए एक कानून बनाने पर विचार करे।

द्वितीय प्रोफेसर शामनाद बशीर स्मृति व्याख्यान में न्यायाधीश ने कहा कि मौलिक स्वतंत्रता को लागू करने के लिए सम्मान की संस्कृति को बढ़ावा देने के वास्ते एक उदार अर्थव्यवस्था में राज्य की भूमिका वक्त की मांग है।


न्यायमूर्ति भट ने कहा, “लोगों को उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर मौलिक अधिकारों तक पहुंच से वंचित नहीं किया जा सकता है। जब असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों के अधिकारों की बात आती है तो कानून में एक गंभीर कमी होती है…इस क्षेत्र में यह और महत्वपूर्ण हो जाता है कि क्षेत्रीय नियामक हस्तक्षेप करें जिसके बगैर संवैधानिक मूल्यों और मौलिक अधिकारों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा अगर इस विधायी कमी को दूर नहीं किया गया तो।”

उन्होंने कहा, “यह उचित समय है कि राज्य न्यायसंगतता, समानता और गैर-भेदभाव के सिद्धांतों को सार्वभौमिक रूप से लागू करने के लिये कानून बनाने पर विचार करे। अगर हम इस तरह के कानून को लागू करते हैं तो हम पहले नहीं होंगे। पहला दक्षिण अफ्रीकी विधानमंडल था जिसने समानता अधिनियम लागू किया था।”

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PTI News Agency

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