रोहिणी अदालत में गोलीबारी: गोगी, टिल्लू गिरोह के सदस्य जिन जेलों में हैं बंद, उनकी सुरक्षा बढ़ी

punjabkesari.in Saturday, Sep 25, 2021 - 10:24 PM (IST)

नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) दिल्ली के रोहिणी की अदालत में गोलीबारी में तीन गैंगस्टर के मारे जाने की घटना के एक दिन बाद उन जेलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है, जहां गोगी और टिल्लू गिरोह के सदस्य बंद हैं। अदालत में हुई गोलीबारी के विरोध में शनिवार को वकीलों ने काम नहीं किया और ऐसी घटनाएं आगे न हों, इसके लिए पुख्ता बंदोबस्त किए जाने की मांग की।

रोहिणी अदालत में शुक्रवार को गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की, वकील के वेश में आये दो हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस द्वारा तत्परता से की गयी जवाबी कार्रवाई में दोनों हमलावर भी मारे गए थे।

पुलिस ने कहा कि घटना के समय रोहिणी अदालत में मेटल डिटेक्टर काम कर रहे थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को हुई गोलीबारी में मारे गए तीन अपराधियों के पोस्टमॉर्टम के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा। अधिकारी ने कहा, ‘‘दोनों हमलावर वकीलों के वेश में थे। सीसीटीवी फुटेज मिलने के बाद ही साफ हो जाएगा कि वे किस तरह से परिसर में घुसने में कामयाब रहे।’’
दिल्ली में एक जिला अदालत के भीतर गोलीबारी की घटना के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी दाखिल कर केंद्र और राज्यों को अधीनस्थ अदालतों में सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। अर्जी में कहा गया है कि गैंगस्टर और कुख्यात अपराधियों को प्रत्यक्ष रूप से पेश करने के बजाय निचली अदालत के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जेलों से पेश किया जा सकता है।

पुलिस की जवाबी कार्रवाई टीम में शामिल उपनिरीक्षक वीर सिंह ने अपने बयान में दावा किया कि गोलीकांड के दौरान अगर पुलिस दो हथियाबंद हमलावरों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई नहीं करती तो निर्दोष लोगों की जान जा सकती थी।
मामले में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक सिंह ने बयान में बताया कि चूंकि दोनों हमलवार हथियारों से लैस थे और अंधाधुंध गोलीबारी कर रहे थे, ऐसे में पुलिस के लिए संभव नहीं था कि वो उन्हें ‘पकड़े’, खासतौर पर तब जब न्यायाधीश, अदालत कर्मी और अधिवक्ता अदालत कक्ष में उपस्थित थे और कोई भी मारा जा सकता था।

वकीलों की वेशभूषा में आए दो हमलावर पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में रोहिणी की अदालत कक्ष में मारे गए थे। घटना के सामने आये वीडियो में सुरक्षा प्रणाली की खामियों का पता चलता है, इसमें दिखता है कि पुलिसकर्मी और वकील अफरातफरी के माहौल में बाहर निकल रहे हैं और अदालत कक्ष संख्या 207 के भीतर व बाहर गोली चल रही है।

इस बीच, दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल ने बड़ा फेरबदल करते हुए दिल्ली पुलिस के 40 वरिष्ठ अधिकारियों का तबादला कर दिया, जिसमें 11 विशेष आयुक्त और 28 पुलिस उपायुक्त और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त शामिल हैं।

जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को बताया, ‘‘सुरक्षा बढ़ा दी गई है और अधिकारी उन जेलों पर कड़ी नजर रख रहे हैं, जहां गोगी और टिल्लू गिरोह के सदस्य बंद हैं।’’ पुलिस को संदेह है कि अदालत में गोलीबारी की घटना के पीछे टिल्लू गिरोह का हाथ है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि भविष्य में कोई अप्रिय घटना न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए अदालत के अंदर और बाहर पर्याप्त कर्मियों को भी तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि अदालत परिसर में मेटल डिटेक्टर के कार्य को लेकर भी चिंता जताई गई है और इस मामले को अदालत प्रशासन के समक्ष उठाया गया है।

सभी जिला अदालत बार एसोसिएशन की संयोजक समिति के प्रवक्ता संजीव नासियर ने कहा कि जमानत और हिरासत की अवधि बढ़ाने जैसे अहम मामलों को छोड़कर किसी भी जिला अदालत में काम नहीं हुआ क्योंकि वकील न्यायाधीशों के सामने उपस्थित नहीं हुए। यहां सभी सात अदालत परिसरों की सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव करने की मांग को लेकर समिति द्वारा हड़ताल का आह्वान किया गया था। नासियर ने कहा कि उन अदालतों ने आदेश और फैसले सुनाए, जो शनिवार को सुनाए जाने थे। रोहिणी जिला अदालत बार एसोसिएशन के सचिव मंजीत माथुर ने कहा कि हड़ताल शांतिपूर्ण रही और किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली।


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