अदालत का समय बर्बाद नहीं होने देने के लिए झूठे मुकदमों पर रोक लगाने की जरूरत: उच्चतम न्यायालय
punjabkesari.in Wednesday, Sep 22, 2021 - 10:20 AM (IST)

नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि हालांकि एक दीवानी मुकदमे को रद्द करना कठोर कार्रवाई है, लेकिन अदालतें किसी वादी को कोई ऐसा मुकदमा आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं दे सकती है जो कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत नहीं पैदा करता हो। दरअसल, झूठे मुकदमों पर रोक लगाने की जरूरत है ताकि अदालतों का वक्त बर्बाद नहीं हो।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने अदालतों में दीवानी मुकदमे खारिज करने के मुद्दे से जुड़ी दीवानी दंड संहिता के ऑर्डर सात नियम 11 की व्याख्या पर आर बजोरिया नाम के व्यक्ति द्वारा दायर अपील पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए यह कहा।
न्यायालय ने कहा कि किसी दीवानी मुकदमे को खारिज करने का एक आधार यह है कि यह कानूनी कार्रवाई की जरूरत नहीं पैदा करता हो।
शीर्ष न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के फैसले के खिलाफ बाजोरिया की अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने अदालतों में दीवानी मुकदमे खारिज करने के मुद्दे से जुड़ी दीवानी दंड संहिता के ऑर्डर सात नियम 11 की व्याख्या पर आर बजोरिया नाम के व्यक्ति द्वारा दायर अपील पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए यह कहा।
न्यायालय ने कहा कि किसी दीवानी मुकदमे को खारिज करने का एक आधार यह है कि यह कानूनी कार्रवाई की जरूरत नहीं पैदा करता हो।
शीर्ष न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के फैसले के खिलाफ बाजोरिया की अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
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