अदालत का पीएमएलए मामले में तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी को राहत देने से इंकार

punjabkesari.in Wednesday, Sep 22, 2021 - 10:19 AM (IST)

नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में कथित कोयला घोटाले से जुड़े धन शोधन के मामले में तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा बनर्जी को कोई भी राहत देने से मंगलवार को इंकार कर दिया।

न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने याचिका पर नोटिस जारी किया और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से अभिषेक तथा रुजिरा बनर्जी की याचिका पर तीन दिनों के भीतर जवाब देने को कहा। उन्होंने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 27 सितंबर तय की है।

न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट कर दूं। मैं कोई स्थगनादेश नहीं दे रहा। मैं नोटिस जारी कर रहा है, आप अपना जवाब दाखिल करें। मैं तभी कोई आदेश पारित कर सकूंगा।’’ उन्होंने कहा कि वह कोई अंतरिम राहत भी नहीं दे रहे हैं।

केन्द्रीय एजेंसी ने अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी को सम्मन भेजकर दिल्ली में आज तमाम दस्तावेजों के साथ उसके समक्ष पेश होने को कहा था। लेकिन पति-पत्नी ने अदालत में अर्जी देकर कहा था कि दोनों कोलकाता के रहने वाले हैं और उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में जांच में सहयोग करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी ने 10 सितंबर को उन्हें भेजे गए सम्मन को अदालत में चुनौती दी है और अनुरोध किया है कि ईडी को उन्हें दिल्ली में पेशी का सम्मन भेजने से रोका जाए।

33 वर्षीय बनर्जी डायमंड हार्बर लोकसभा सीट से सांसद हैं और तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भी।

प्रवर्तन निदेशालय ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि धन शोधन का राष्ट्रीय और बहु-राष्ट्रीय प्रभाव होता है और उसकी जांच किसी पुलिस थाने या क्षेत्र तक सीमित नहीं है।

न्यायाधीश ने जब स्पष्ट किया कि वह कोई अंतरिम राहत नहीं दे रहे हैं, बनर्जी दंपत्ति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उस वक्त तक अब एजेंसी को आगे कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि मामला अदालत में लंबित है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें आज ईडी के समक्ष पेश होने को कहा गया था। हमने एजेंसी को दस्तावेज दे दिए हैं, लेकिन व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं हो रहे हैं। मैं आशा करता हूं कि कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।’’
लेकिन, अदालत ने एक बार फिर कोइ अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया।

इसपर सिब्बल ने कहा कि वह स्थगनादेश का अनुरोध नहीं कर रहे हैं और वह सिर्फ इतना कह रहे हैं कि एजेंसी (ईडी) कोलकाता में पूछताछ कर सकती है।

ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अंतरिम राहत के अनुरोध का विरोध किया और कहा कि अगर उन्हें कोई चिंता है तो वह उचित उपाय कर सकते हैं।

इस मामले की सुनवाई करीब तीन घंटे चली और इस दौरान सिब्बल ने कहा कि बनर्जी को जांच एजेन्सी के सामने पेश होने के लिए कई बार बुलाया गया और छह सितंबर को करीब 10-11 घंटे तक उनसे पूछताछ की गयी। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को जांच करने का अधिकार है लेकिन उसे इस तरह से उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए।

सिब्बल ने कहा कि ये सम्मन बनर्जी तक पहुंचने से पहले ही इन्हें मीडिया को लीक कर दिया गया और ऐसा लगता है कि यह पूरी तरह से दुर्भावनाग्रस्त जांच है। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय इस तरह से हमे दिल्ली नहीं बुला सकते हैं। हमारी जांच पुलिस थाने के दायरे में ही की जानी चाहिए जहां कथित अपराध हुआ है। यह सब पश्चिम बंगाल में हुआ है ओर महिला से भी उसकी के घर में पूछताछ की गयी है।

निर्देशालय की ओर से ही अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि धन शोधन रोकथाम कानून के तहत जांच के लिये कोई सीमा के क्षेत्र का मामला नहीं है। पीएमएलए के लिये कोई थाना नहीं है और इसके लिए पूरा देश ही थाना है। जहां तक सवाल अभिषेक बनर्जी का है तो वह दिल्ली के निवासी हैं और उनका पता भी दिल्ली का है। वह सांसद हैं और नियमित रूप से सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेते हैं।
प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि टीएमसी सांसद को गैरकानूनी कारोबार से मिले धन से लाभ मिला है जकि उन्होंने इन सभी आरोपों का खंडन किया है।


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