एनजीटी मोहाली में ढांचों के विरूद्ध अर्जी पर एक समिति बनायी
Friday, Sep 17, 2021 - 10:30 AM (IST)
नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मोहाली में रीयल एस्टेट कंपनी ओमेक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित संरचनाओं की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली एक अर्जी पर रिपोर्ट देने के लिए एक समिति बनायी है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एसईआईएए पंजाब, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों एवं मोहाली के जिलाधिकारी की पांच सदस्यीय संयुक्त समिति बनायी है।
अधिकरण ने 13 सितंबर का अपने आदेश में कहा, ‘‘ तथ्यात्मक स्थिति तथा वैधानिक निकायों एवं परियोजना प्रस्तावक द्वारा अपनाये गये रूख का पता लगाना जरूरी जान पड़ता है। ’’
अधिकरण ने कहा, ‘‘ संयुक्त समिति 15 दिनों में बैठक कर सकती है। वह संबंधित स्थल पर का दौरा कर सकती है और परियोजना प्रस्तावक समेत संबंधित पक्षकारों के साथ संवाद कर सकती है। समिति को किसी अन्य विशेषज्ञ/ संगठन से परामर्श करने की छूट होगी। ’’
पीठ ने कहा कि समिति दो महीने के अंदर ई-मेल के माध्यम से अपनी रिपोर्ट दे सकती है। उसने कहा कि पहले भेजे गये मुद्दों के अलावा, समिति संबंधित ढांचे से निकल रहे अपशिष्ट, उसके प्रबंधन के लिए अपनायी जाने वाली/जा रही प्रणाली की स्थिति रिपोर्ट दे सकती है। मामले की अगली सुनवाई चार जनवरी, 2022 तय की गयी है।
अधिकरण पंजाब के निवासी संदीप सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। सिंह ने चंडीगढ़ के समीप मोहाली जिले के मुल्लानपुर में कांसल, रानी माजरा, ढूडे माजरा एवं रसूलगांव में ‘द लेक’ परियोजना के माध्यम से ओमेक्स एवं ओमेक्स चंडीगढ़ एक्सटेंसशन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किये गए निर्माण और इसी बिल्डर की अन्य संरचनाओं की कानूनी वैधता को चुनौती दी है।
अर्जी के अनुसार ये ढांचे ईआईए अधिसूचना, 2006 तथा जल (प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 एवं पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के विपरीत हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एसईआईएए पंजाब, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों एवं मोहाली के जिलाधिकारी की पांच सदस्यीय संयुक्त समिति बनायी है।
अधिकरण ने 13 सितंबर का अपने आदेश में कहा, ‘‘ तथ्यात्मक स्थिति तथा वैधानिक निकायों एवं परियोजना प्रस्तावक द्वारा अपनाये गये रूख का पता लगाना जरूरी जान पड़ता है। ’’
अधिकरण ने कहा, ‘‘ संयुक्त समिति 15 दिनों में बैठक कर सकती है। वह संबंधित स्थल पर का दौरा कर सकती है और परियोजना प्रस्तावक समेत संबंधित पक्षकारों के साथ संवाद कर सकती है। समिति को किसी अन्य विशेषज्ञ/ संगठन से परामर्श करने की छूट होगी। ’’
पीठ ने कहा कि समिति दो महीने के अंदर ई-मेल के माध्यम से अपनी रिपोर्ट दे सकती है। उसने कहा कि पहले भेजे गये मुद्दों के अलावा, समिति संबंधित ढांचे से निकल रहे अपशिष्ट, उसके प्रबंधन के लिए अपनायी जाने वाली/जा रही प्रणाली की स्थिति रिपोर्ट दे सकती है। मामले की अगली सुनवाई चार जनवरी, 2022 तय की गयी है।
अधिकरण पंजाब के निवासी संदीप सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। सिंह ने चंडीगढ़ के समीप मोहाली जिले के मुल्लानपुर में कांसल, रानी माजरा, ढूडे माजरा एवं रसूलगांव में ‘द लेक’ परियोजना के माध्यम से ओमेक्स एवं ओमेक्स चंडीगढ़ एक्सटेंसशन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किये गए निर्माण और इसी बिल्डर की अन्य संरचनाओं की कानूनी वैधता को चुनौती दी है।
अर्जी के अनुसार ये ढांचे ईआईए अधिसूचना, 2006 तथा जल (प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 एवं पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के विपरीत हैं।
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