पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा मामला : याचिकाकर्ता ने न्यायालय में याचिका दायर की
punjabkesari.in Saturday, Aug 21, 2021 - 11:45 AM (IST)
नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय में जनहित याचिकाएं दायर करने वालों में से एक ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका (कैविएट) दायर कर अनुरोध किया कि अगर राज्य या अन्य वादी फैसले के खिलाफ अपील करते हैं तो उनका पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।
विभिन्न जनहित याचिकाओं पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के सभी जघन्य मामलों की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने एक दिन पहले ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पैनल की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए विभिन्न कथित मामलों में सीबीआई जांच का आदेश दिया।
विधानसभा चुनाव के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में हुयी हिंसा के मुद्दे को उठाते हुए कई जनहित याचिकाएं दायर की गयी थी। उनमें से एक याचिका वकील अनिंद्य सुंदर दास ने भी दायर की थी।
यह अनुमान लगाते हुए कि राज्य सरकार सहित विभिन्न पीड़ित पक्ष फैसले के खिलाफ अपील दायर कर सकते हैं, दास ने सर्वोच्च अदालत में ‘कैविएट’ दायर की कि इस संबंध में दायर की जाने वाली याचिकाओं पर कोई आदेश पारित होने से पहले उनकी बात सुनी जाए।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
विभिन्न जनहित याचिकाओं पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के सभी जघन्य मामलों की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने एक दिन पहले ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पैनल की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए विभिन्न कथित मामलों में सीबीआई जांच का आदेश दिया।
विधानसभा चुनाव के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में हुयी हिंसा के मुद्दे को उठाते हुए कई जनहित याचिकाएं दायर की गयी थी। उनमें से एक याचिका वकील अनिंद्य सुंदर दास ने भी दायर की थी।
यह अनुमान लगाते हुए कि राज्य सरकार सहित विभिन्न पीड़ित पक्ष फैसले के खिलाफ अपील दायर कर सकते हैं, दास ने सर्वोच्च अदालत में ‘कैविएट’ दायर की कि इस संबंध में दायर की जाने वाली याचिकाओं पर कोई आदेश पारित होने से पहले उनकी बात सुनी जाए।
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