तीन साल में पीएमएफबीवाई के तहत महाराष्ट्र के 219 करोड़, राजस्थान के 58 करोड़ रुपये के दावे लंबित
punjabkesari.in Wednesday, Aug 04, 2021 - 05:53 PM (IST)

नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) सरकार ने लोकसभा को जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत विभिन्न राज्यों के पिछले तीन साल के करीब 3,350 करोड़ रुपये के दावे लंबित हैं जिनमें महाराष्ट्र के करीब 219 करोड़ रुपये और राजस्थान के करीब 58 करोड़ रुपये के लंबित दावे शामिल हैं।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में रक्षा खडसे के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
मंत्री के जवाब में दिये गये आंकड़ों के अनुसार 2018-19, 2019-20 तथा 2020-21 के दौरान विभिन्न राज्यों के करीब 3,350 करोड़ रुपये के लंबित दावे हैं जिनमें महाराष्ट्र के करीब 219 करोड़ रुपये और राजस्थान के करीब 58 करोड़ रुपये के लंबित दावे हैं।
इसमें 26 जुलाई, 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 2018-19 में महाराष्ट्र के अनुमानित दावे 6,069.31 करोड़ रुपये के थे जिनमें 6,062.98 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया और 6.32 करोड़ रुपये के बकाया दावे रहे। इसी तरह 2019-20 में राज्य के अनुमानित दावे 6,732.48 करोड़ रुपये के थे जिनमें 6,723.35 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान कर दिया गया और 9.13 करोड़ रुपये के बकाया दावे रहे। इसी तरह 2020-21 में राज्य के अनुमानित दावे 953.58 करोड़ रुपये के थे जिनमें 750.12 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया और 203.46 करोड़ रुपये के बकाया दावे रहे।
जवाब के अनुसार 2018-19 में राजस्थान के अनुमानित दावे 3,428.86 करोड़ रुपये के थे जिनमें 3,465.86 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया और 2.78 करोड़ रुपये के बकाया दावे रहे। इसी तरह 2019-20 में राज्य के अनुमानित दावे 4,854.79 करोड़ रुपये के थे और इससे अधिक 4,947.98 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया तथा लंबित दावा कुछ नहीं रहा। इसी तरह 2020-21 में राज्य के अनुमानित दावे 2,457.82 करोड़ रुपये के थे जिनमें 2,402.11 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया और 55.70 करोड़ रुपये के बकाया दावे रहे।
मंत्री के जवाब में दावे लंबित रहने की मुख्य वजहों में राज्य सब्सिडी, लंबित उपज डेटा, भुगतान विफलता मसलन किसानों के बैंक खातों में भुगतान नहीं हो पाना बताई गयी हैं। तोमर ने यह भी कहा कि दावों के निपटान में देरी का प्रमुख कारण प्रीमियम सब्सिडी के राज्य के हिस्से की प्राप्ति नहीं होना है। उन्होंने कहा कि कुछ बीमा कंपनियों ने उपज आंकड़ों की प्राप्ति नहीं होना या उनका मानक के अनुरूप नहीं होने के भी विषय उठाये हैं।
तोमर ने कहा कि उनका विभाग प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत दावों के समय पर निपटान के लिए अनेक कदम उठाता है जिनमें जुर्माना और किसानों को दंडात्मक ब्याज अदा करना भी शामिल हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में रक्षा खडसे के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
मंत्री के जवाब में दिये गये आंकड़ों के अनुसार 2018-19, 2019-20 तथा 2020-21 के दौरान विभिन्न राज्यों के करीब 3,350 करोड़ रुपये के लंबित दावे हैं जिनमें महाराष्ट्र के करीब 219 करोड़ रुपये और राजस्थान के करीब 58 करोड़ रुपये के लंबित दावे हैं।
इसमें 26 जुलाई, 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 2018-19 में महाराष्ट्र के अनुमानित दावे 6,069.31 करोड़ रुपये के थे जिनमें 6,062.98 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया और 6.32 करोड़ रुपये के बकाया दावे रहे। इसी तरह 2019-20 में राज्य के अनुमानित दावे 6,732.48 करोड़ रुपये के थे जिनमें 6,723.35 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान कर दिया गया और 9.13 करोड़ रुपये के बकाया दावे रहे। इसी तरह 2020-21 में राज्य के अनुमानित दावे 953.58 करोड़ रुपये के थे जिनमें 750.12 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया और 203.46 करोड़ रुपये के बकाया दावे रहे।
जवाब के अनुसार 2018-19 में राजस्थान के अनुमानित दावे 3,428.86 करोड़ रुपये के थे जिनमें 3,465.86 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया और 2.78 करोड़ रुपये के बकाया दावे रहे। इसी तरह 2019-20 में राज्य के अनुमानित दावे 4,854.79 करोड़ रुपये के थे और इससे अधिक 4,947.98 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया तथा लंबित दावा कुछ नहीं रहा। इसी तरह 2020-21 में राज्य के अनुमानित दावे 2,457.82 करोड़ रुपये के थे जिनमें 2,402.11 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया और 55.70 करोड़ रुपये के बकाया दावे रहे।
मंत्री के जवाब में दावे लंबित रहने की मुख्य वजहों में राज्य सब्सिडी, लंबित उपज डेटा, भुगतान विफलता मसलन किसानों के बैंक खातों में भुगतान नहीं हो पाना बताई गयी हैं। तोमर ने यह भी कहा कि दावों के निपटान में देरी का प्रमुख कारण प्रीमियम सब्सिडी के राज्य के हिस्से की प्राप्ति नहीं होना है। उन्होंने कहा कि कुछ बीमा कंपनियों ने उपज आंकड़ों की प्राप्ति नहीं होना या उनका मानक के अनुरूप नहीं होने के भी विषय उठाये हैं।
तोमर ने कहा कि उनका विभाग प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत दावों के समय पर निपटान के लिए अनेक कदम उठाता है जिनमें जुर्माना और किसानों को दंडात्मक ब्याज अदा करना भी शामिल हैं।
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