पीएचडी की सभी सीटें जेआरएफ को आवंटित करना सुविचारित नीतिगत फैसला: जेएनयू

Monday, Aug 02, 2021 - 06:27 PM (IST)

नयी दिल्ली, दो अगस्त (भाषा) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि सात केंद्रों पर पीएचडी की शत-प्रतिशत सीटों का आवंटन जेआरएफ श्रेणी के उम्मीदवारों को करना एक “सुविचारित नीतिगत फैसला” है और यह किसी कानून या नियम का उल्लंघन नहीं करता।


विश्वविद्यालय ने कहा कि जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फैलोशिप) राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा आयोजित एक गहन प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले प्रतिभागियों को प्रदान की जाने वाली सबसे प्रतिष्ठित अध्येतावृत्ति है और इसलिये सफल प्रतिभागी पहले ही संबंधित क्षेत्र में अपने कौशल को साबित कर चुके होते हैं।


स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया, जेएनयू द्वारा इस आवंटन को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिका के जवाब में दिए गए अपने हलफनामे में विश्वविद्यालय ने कहा, “जेएनयू के चुनिंदा केंद्रों पर शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिये 100 प्रतिशत पीएचडी सीटों का आवंटन जेआरएफ श्रेणी के प्रतिभागियों के लिये करना एक सुविचारित नीतिगत फैसला है जो अकादमिक परिषद जैसी अकादमिक विशेषज्ञों की शीर्ष संस्था द्वारा किया गया फैसला है और यह यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुरूप है।”

इसमें दावा किया गया कि ऐसा करते हुए जेएनयू आवश्यकता के अनुसार और उत्कृष्टता की खोज के अपने प्रयास में उम्मीदवारों के प्रवेश के लिये पात्रता मानदंड तैयार करने के लिए उसे प्रदत्त शक्तियों की सीमा के दायरे में ही काम कर रहा है।

अदालत को सूचित किया गया कि जेएनयू धीरे-धीरे प्रवेश की एकीकृत प्रणाली को अपनाने की दिशा में बढ़ रहा है और शैक्षणिक माहौल व मानक बढ़ाने के लिये जेआरएफ को गुणवत्तायुक्त शोध कार्य का मानदंड बना रहा है।

एसएफआई की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने याचिका में कहा कि पिछले वर्षों में अधिकांश केंद्रों में पीएचडी सीटों को जेआरएफ और गैर-जेआरएफ अभ्यार्थियों के बीच प्रवेश परीक्षा के माध्यम से समान रूप से आवंटित किया जाता था, जबकि शैक्षणिक सत्र 2021-22 में सिर्फ जेआरएफ श्रेणी के लिये सीटें आवंटित की गई हैं।


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PTI News Agency

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