भारत ने जी20 देशों से 2030 तक प्रति व्यक्ति उत्सर्जन को वैश्विक औसत पर लाने का आग्रह किया
Sunday, Jul 25, 2021 - 12:40 AM (IST)
नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) भारत ने ‘‘तेजी से घटते कार्बन क्षेत्र’ को ध्यान में रखते हुए जी20 देशों से 2030 तक प्रति व्यक्ति उत्सर्जन को वैश्विक औसत पर लाने का आग्रह किया है।
नेपल्स, इटली में आयोजित 16वें जी20 सम्मेलन में दो दिवसीय पर्यावरण मंत्रिस्तरीय बैठक में, भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, “हमने कुछ देशों द्वारा इस सदी के मध्य तक या उसके आसपास नेट जीरो (निवल शून्य) ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन हासिल करने के लिए किए गए संकल्पों को संज्ञान में लिया है। हालांकि, तेजी से घटते कार्बन क्षेत्र को देखते हुए यह पर्याप्त नहीं हो सकता है।"
मंत्री ने जी20 देशों से सवाल किया, "इसलिए, और विकासशील देशों की वैध आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, हम जी20 देशों से 2030 तक प्रति व्यक्ति उत्सर्जन को वैश्विक औसत पर लाने के लिए प्रतिबद्ध होने का आग्रह करते हैं।" एक संयुक्त जी20 ऊर्जा-जलवायु मंत्रिस्तरीय बयान में, जी20 देशों ने नीति निर्माण में विज्ञान-आधारित दृष्टिकोण के महत्त्व को स्वीकार किया।
देशों ने कहा है, “हम स्वीकार करते हैं कि कोविड-19 संकट में नीति निर्माण में विज्ञान-आधारित दृष्टिकोण के महत्त्व की पुष्टि हुई है। हम वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय से आने वाली गंभीर चेतावनी पर जोर देते हैं, कि यह जलवायु परिवर्तन की तत्काल चुनौतियों और जैव विविधता के नुकसान और मानव स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए दशक भर कार्य होने चाहिए।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
नेपल्स, इटली में आयोजित 16वें जी20 सम्मेलन में दो दिवसीय पर्यावरण मंत्रिस्तरीय बैठक में, भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, “हमने कुछ देशों द्वारा इस सदी के मध्य तक या उसके आसपास नेट जीरो (निवल शून्य) ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन हासिल करने के लिए किए गए संकल्पों को संज्ञान में लिया है। हालांकि, तेजी से घटते कार्बन क्षेत्र को देखते हुए यह पर्याप्त नहीं हो सकता है।"
मंत्री ने जी20 देशों से सवाल किया, "इसलिए, और विकासशील देशों की वैध आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, हम जी20 देशों से 2030 तक प्रति व्यक्ति उत्सर्जन को वैश्विक औसत पर लाने के लिए प्रतिबद्ध होने का आग्रह करते हैं।" एक संयुक्त जी20 ऊर्जा-जलवायु मंत्रिस्तरीय बयान में, जी20 देशों ने नीति निर्माण में विज्ञान-आधारित दृष्टिकोण के महत्त्व को स्वीकार किया।
देशों ने कहा है, “हम स्वीकार करते हैं कि कोविड-19 संकट में नीति निर्माण में विज्ञान-आधारित दृष्टिकोण के महत्त्व की पुष्टि हुई है। हम वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय से आने वाली गंभीर चेतावनी पर जोर देते हैं, कि यह जलवायु परिवर्तन की तत्काल चुनौतियों और जैव विविधता के नुकसान और मानव स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए दशक भर कार्य होने चाहिए।
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