दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में शुरू होगी ‘जीनोम सीक्वेंसिंग’ प्रयोगशाला
punjabkesari.in Thursday, Jun 24, 2021 - 12:13 AM (IST)
नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) दिल्ली सरकार द्वारा संचालित लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में जुलाई के पहले सप्ताह में एक जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशाला शुरू हो सकती है जहां कोरोना वायरस के विभिन्न प्रकारों की पहचान हो सकेगी। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि प्रयोगशाला के वास्ते एक ‘जिनेटिक सीक्वेंसिंग’ मशीन के लिए वैश्विक निविदा जारी की गई थी जिसके बाद सिंगापुर से ऐसी मशीन खरीदी गई है। इस महीने की शुरुआत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कोरोना वायरस के प्रकारों की पहचान करने के लिए एलएनजेपी अस्पताल और ‘इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज’ में दो जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी।
यह प्रयोगशालाएं, संक्रमण की संभावित तीसरी लहर से निपटने की दिल्ली सरकार की तैयारियों के तहत स्थापित की जा रही हैं। जानकारों का मानना है कि वायरस का डेल्टा प्लस प्रकार, तीसरी लहर के लिए जिम्मेदार हो सकता है। इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा वायरस के इस प्रकार को ‘चिंताजनक‘ घोषित किया गया है।
अस्पताल के चिकित्सा निदेशक सुरेश कुमार ने कहा, “जुलाई के पहले सप्ताह से हम जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशाला शुरू करने की योजना बना रहे हैं। यहां वायरोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशालाएं हैं इसलिए हमारे पास कर्मचारियों की कमी नहीं है। आईसीएमआर की 10-15 परियोजनाएं अस्पताल में चल रही हैं इसलिए यहां अनुसंधान वैज्ञानिक भी हैं।”
जीनोम सीक्वेंसिंग की सहायता से कोरोना वायरस में हो रहे उत्परिवर्तन का पता चल सकता है जिससे इसके प्रसार की श्रृंखला को तोड़ने में मदद मिलेगी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उन्होंने बताया कि प्रयोगशाला के वास्ते एक ‘जिनेटिक सीक्वेंसिंग’ मशीन के लिए वैश्विक निविदा जारी की गई थी जिसके बाद सिंगापुर से ऐसी मशीन खरीदी गई है। इस महीने की शुरुआत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कोरोना वायरस के प्रकारों की पहचान करने के लिए एलएनजेपी अस्पताल और ‘इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज’ में दो जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी।
यह प्रयोगशालाएं, संक्रमण की संभावित तीसरी लहर से निपटने की दिल्ली सरकार की तैयारियों के तहत स्थापित की जा रही हैं। जानकारों का मानना है कि वायरस का डेल्टा प्लस प्रकार, तीसरी लहर के लिए जिम्मेदार हो सकता है। इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा वायरस के इस प्रकार को ‘चिंताजनक‘ घोषित किया गया है।
अस्पताल के चिकित्सा निदेशक सुरेश कुमार ने कहा, “जुलाई के पहले सप्ताह से हम जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशाला शुरू करने की योजना बना रहे हैं। यहां वायरोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशालाएं हैं इसलिए हमारे पास कर्मचारियों की कमी नहीं है। आईसीएमआर की 10-15 परियोजनाएं अस्पताल में चल रही हैं इसलिए यहां अनुसंधान वैज्ञानिक भी हैं।”
जीनोम सीक्वेंसिंग की सहायता से कोरोना वायरस में हो रहे उत्परिवर्तन का पता चल सकता है जिससे इसके प्रसार की श्रृंखला को तोड़ने में मदद मिलेगी।
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