बाल श्रम उन्मूलन केंद्र की प्राथमिकता, सरकार संवेदनशील: गंगवार
punjabkesari.in Friday, Jun 11, 2021 - 05:02 PM (IST)
नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने शुक्रवार को कहा कि देश से बाल मजूदरी को खत्म करने के लक्ष्य को लेकर सरकार संवेदनशील है और यह विषय उसकी प्राथमिकता में है।
वह अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम विरोधी दिवस की पूर्व संध्या पर ‘‘कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन’’ (केएससीएफ) द्वारा ‘कोविड-19 और बाल श्रम उन्मूलन’ विषय पर आयोजित एक डिजिटल परिसंवाद में बोल रहे थे। गंगवार ने कोविड-19 के दुष्प्रभाव से बच्चों को बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने कहा, “सरकार कोविड-19 महामारी से उपजी चुनौतियों का हल निकालने के लिए पूरी क्षमता से कोशिश कर रही है। महामारी से अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे कुप्रभावों की वजह से बाल श्रम की घटनाओं में वृद्धि की संभावनाओं के दृष्टिगत हमें अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सजग रहना है कि कहीं यह आपदा हमारे बच्चों को बालश्रम की ओर न धकेल दे।”
बाल श्रम के आंकड़ों पर चिंता व्यक्त करते हुए श्रम मंत्री ने कहा, ‘‘आईएलओ और यूनिसेफ ने मिलकर दुनिया में बाल मजदूरों की स्थिति पर जो रिपोर्ट जारी की है, वह चिंता बढ़ाने वाली है। बाल मजदूरों की समस्या को दूर करने के लिए अभी हमारी सरकार ने चार श्रम संहिताएं पारित की हैं। बाल श्रम उन्मूलन हमारी सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए हम संवेदनशील हैं।”
गंगवार ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘2025 तक बाल श्रम उन्मूलन का जो लक्ष्य रखा गया है, उस दिशा में हम सतत कार्यरत हैं। बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में गृह मंत्रालय ने पेंसिल (इफेक्टिव इनफोर्समेंट ऑफ नो चाइल्ड लेबर) पोर्टल भी बनाए हैं। इसको और प्रभावी बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है।”
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने इस मौके पर बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सरकार, समाज, निजी क्षेत्र और सामाजिक संगठनों से एकजुट होकर साझा प्रयास करने का आह्वान किया।
उन्होंने मंत्रालयों, सामाजिक समूहों, कॉरपोरेट और गैर सरकारी संस्थानों को “टीम इंडिया अगेंस्ट चाइल्ड लेबर” का सदस्य करार देते हुए कहा, “करोड़ों बच्चों को पीछे छोड़कर हम देश के विकास के बारे में कैसे सोच सकते हैं? यह स्वीकार करने योग्य नहीं है। यह मानवता के खिलाफ होगा।’’
सत्यार्थी ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी ने हमारे बच्चों को सबसे अधिक असुरक्षित किया है। महामारी के पहले के 4 वर्षों के दौरान बाल श्रम में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। यह खतरे की घंटी है। हमें बाल संरक्षण के लिए अब साहसिक कदम उठाने की जरूरत है।’’
उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया, ‘‘स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया जाए और बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा की जरूरतों के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन किया जाए।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
वह अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम विरोधी दिवस की पूर्व संध्या पर ‘‘कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन’’ (केएससीएफ) द्वारा ‘कोविड-19 और बाल श्रम उन्मूलन’ विषय पर आयोजित एक डिजिटल परिसंवाद में बोल रहे थे। गंगवार ने कोविड-19 के दुष्प्रभाव से बच्चों को बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने कहा, “सरकार कोविड-19 महामारी से उपजी चुनौतियों का हल निकालने के लिए पूरी क्षमता से कोशिश कर रही है। महामारी से अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे कुप्रभावों की वजह से बाल श्रम की घटनाओं में वृद्धि की संभावनाओं के दृष्टिगत हमें अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सजग रहना है कि कहीं यह आपदा हमारे बच्चों को बालश्रम की ओर न धकेल दे।”
बाल श्रम के आंकड़ों पर चिंता व्यक्त करते हुए श्रम मंत्री ने कहा, ‘‘आईएलओ और यूनिसेफ ने मिलकर दुनिया में बाल मजदूरों की स्थिति पर जो रिपोर्ट जारी की है, वह चिंता बढ़ाने वाली है। बाल मजदूरों की समस्या को दूर करने के लिए अभी हमारी सरकार ने चार श्रम संहिताएं पारित की हैं। बाल श्रम उन्मूलन हमारी सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए हम संवेदनशील हैं।”
गंगवार ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘2025 तक बाल श्रम उन्मूलन का जो लक्ष्य रखा गया है, उस दिशा में हम सतत कार्यरत हैं। बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में गृह मंत्रालय ने पेंसिल (इफेक्टिव इनफोर्समेंट ऑफ नो चाइल्ड लेबर) पोर्टल भी बनाए हैं। इसको और प्रभावी बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है।”
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने इस मौके पर बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सरकार, समाज, निजी क्षेत्र और सामाजिक संगठनों से एकजुट होकर साझा प्रयास करने का आह्वान किया।
उन्होंने मंत्रालयों, सामाजिक समूहों, कॉरपोरेट और गैर सरकारी संस्थानों को “टीम इंडिया अगेंस्ट चाइल्ड लेबर” का सदस्य करार देते हुए कहा, “करोड़ों बच्चों को पीछे छोड़कर हम देश के विकास के बारे में कैसे सोच सकते हैं? यह स्वीकार करने योग्य नहीं है। यह मानवता के खिलाफ होगा।’’
सत्यार्थी ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी ने हमारे बच्चों को सबसे अधिक असुरक्षित किया है। महामारी के पहले के 4 वर्षों के दौरान बाल श्रम में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। यह खतरे की घंटी है। हमें बाल संरक्षण के लिए अब साहसिक कदम उठाने की जरूरत है।’’
उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया, ‘‘स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया जाए और बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा की जरूरतों के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन किया जाए।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।