अदालत ने कोविड देखभाल केंद्र के अनुरोध पर उदासीनता दिखाने को लेकर जेएनयू को फटकार लगायी
Tuesday, May 11, 2021 - 08:45 PM (IST)
नयी दिल्ली, 11 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को परिसर में कोविड देखभाल केंद्र और ऑक्सीजन उत्पादन इकाई स्थापित किए जाने के संबंध में छात्रों और शिक्षकों के अनुरोध पर उदासीनता बरतने और कार्रवाई में तत्परता के अभाव को लेकर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को फटकार लगायी।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि वर्तमान महामारी के प्रकोप को ध्यान में रखते हुए जेएनयू प्रशासन को 13 अप्रैल के बाद से भेजे गए पत्राचार पर ''''त्वरित एवं तत्परता'''' से कार्रवाई करने की आवश्यकता थी।
उन्होंने कहा, '''' आपको पहला पत्र 13 अप्रैल को प्राप्त हुआ और आज 11 मई है। लगभग एक महीना गुजर चुका है लेकिन कुलपति प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं है। यह पूरी तरह से उदासीनता है। मैं अचंभित हूं।''''
अदालत ने इस बात का भी उल्लेख किया कि जेएनयू परिसर में 18 अप्रैल को कोविड-19 के 74 मामले सात मई तक बढ़कर 211 तक पहुंच गए, जोकि लगभग तीन गुना का इजाफा है।
अदालत ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को अधिकारियों के संपर्क में रहना चाहिए था और किसी भी स्थानीय अस्पताल द्वारा सहायता दी जा सकती थी।
उन्होंने कहा, '''' आपको प्रयास करना चाहिए था। यहां सवाल सिर्फ ऐसा करने में दिलचस्पी लेने का था।''''
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, '''' विश्वविद्यालय शिक्षकों और छात्रों के स्वास्थ्य की देखभाल और परिसर के भीतर हरसंभव सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बाध्य है।''''
अदालत ने जेएनयू को याचिकाकर्ताओं -जेएनयू शिक्षक संघ, जेएनयू छात्रसंघ और दो संकाय सदस्य- के अनुरोध पर उठाए गए कदमों के बारे में स्थिति रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि वर्तमान महामारी के प्रकोप को ध्यान में रखते हुए जेएनयू प्रशासन को 13 अप्रैल के बाद से भेजे गए पत्राचार पर ''''त्वरित एवं तत्परता'''' से कार्रवाई करने की आवश्यकता थी।
उन्होंने कहा, '''' आपको पहला पत्र 13 अप्रैल को प्राप्त हुआ और आज 11 मई है। लगभग एक महीना गुजर चुका है लेकिन कुलपति प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं है। यह पूरी तरह से उदासीनता है। मैं अचंभित हूं।''''
अदालत ने इस बात का भी उल्लेख किया कि जेएनयू परिसर में 18 अप्रैल को कोविड-19 के 74 मामले सात मई तक बढ़कर 211 तक पहुंच गए, जोकि लगभग तीन गुना का इजाफा है।
अदालत ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को अधिकारियों के संपर्क में रहना चाहिए था और किसी भी स्थानीय अस्पताल द्वारा सहायता दी जा सकती थी।
उन्होंने कहा, '''' आपको प्रयास करना चाहिए था। यहां सवाल सिर्फ ऐसा करने में दिलचस्पी लेने का था।''''
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, '''' विश्वविद्यालय शिक्षकों और छात्रों के स्वास्थ्य की देखभाल और परिसर के भीतर हरसंभव सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बाध्य है।''''
अदालत ने जेएनयू को याचिकाकर्ताओं -जेएनयू शिक्षक संघ, जेएनयू छात्रसंघ और दो संकाय सदस्य- के अनुरोध पर उठाए गए कदमों के बारे में स्थिति रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।