मराठा आरक्षण पर न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक : यूथ फॉर इक्वेलिटी
punjabkesari.in Thursday, May 06, 2021 - 08:55 PM (IST)
नयी दिल्ली, छह मई (भाषा)यूथ फॉर इक्वैलिटी नामक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने मराठा आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा है कि इससे वास्तव में पिछड़े हुए लोगों की मदद होगी जिनका उल्लेख संविधान में है।
एनजीओ ने कहा कि मराठा समुदाय के लोग स्वाभिमानी योद्धा वर्ग से आते हैं इसलिए उन्हें इस आरक्षण का विरोध करना चाहिए जो उन्हें पिछड़ा करार देता है।
हालांकि एनजीओ ने स्वीकार किया कि मराठा समुदाय में भी ऐसे बहुत से लोग हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उन्हें मदद की जरुरत है इसलिए उन्हें आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए तय किए गए आरक्षण के दायरे में लाया जाना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में महाराष्ट्र के शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी राज्य के कानून को ‘‘असंवैधानिक’’ करार देते हुए बुधवार को इसे खारिज कर दिया था।
न्यायालय ने कहा कि यह कानून 29 वर्ष पुराने मंडल फैसले के तहत आरक्षण की तय 50 प्रतिशत सीमा का उल्लंघन है और साथ ही उसे वृहद पीठ के पास पुनर्विचार के लिए भेजने से भी इनकार कर दिया।
एनजीओ के वकील संजीत शुक्ला ने एक वक्तव्य में कहा कि शीर्ष अदालत ने मराठा समुदाय के लोगों को पिछड़े वर्ग की श्रेणी से बाहर रखकर वास्तविक रूप से पिछड़े हुए लोगों के लिए रास्ता साफ कर दिया है। मराठा समुदाय के लोग राष्ट्रीय स्तर पर मुख्यधारा में हैं और राजनीतिक रूप से भी मजबूत हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
एनजीओ ने कहा कि मराठा समुदाय के लोग स्वाभिमानी योद्धा वर्ग से आते हैं इसलिए उन्हें इस आरक्षण का विरोध करना चाहिए जो उन्हें पिछड़ा करार देता है।
हालांकि एनजीओ ने स्वीकार किया कि मराठा समुदाय में भी ऐसे बहुत से लोग हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उन्हें मदद की जरुरत है इसलिए उन्हें आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए तय किए गए आरक्षण के दायरे में लाया जाना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में महाराष्ट्र के शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी राज्य के कानून को ‘‘असंवैधानिक’’ करार देते हुए बुधवार को इसे खारिज कर दिया था।
न्यायालय ने कहा कि यह कानून 29 वर्ष पुराने मंडल फैसले के तहत आरक्षण की तय 50 प्रतिशत सीमा का उल्लंघन है और साथ ही उसे वृहद पीठ के पास पुनर्विचार के लिए भेजने से भी इनकार कर दिया।
एनजीओ के वकील संजीत शुक्ला ने एक वक्तव्य में कहा कि शीर्ष अदालत ने मराठा समुदाय के लोगों को पिछड़े वर्ग की श्रेणी से बाहर रखकर वास्तविक रूप से पिछड़े हुए लोगों के लिए रास्ता साफ कर दिया है। मराठा समुदाय के लोग राष्ट्रीय स्तर पर मुख्यधारा में हैं और राजनीतिक रूप से भी मजबूत हैं।
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