कोविड मामला: ब्रोकरेज कंपनियों ने 2021-22 के लिये देश के जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को घटाया

punjabkesari.in Sunday, Apr 18, 2021 - 03:51 PM (IST)

नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) कोविड-19 संक्रमण के दोबारा तेजी से फैलने के बीच प्रमुख ब्रोकरेज कंपनियों ने भारत के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 10 प्रतिशत तक कर दिया है। इसका कारण स्थानीय स्तर पर लगाये जा रहे ‘लॉकडाउन’ के कारण आर्थिक पुनरूद्धार को लेकर जोखिम है।

नोमुरा ने जहां चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 13.5 प्रतिशत से कम कर 12.6 प्रतिशत कर दिया है, वहीं जेपी मोर्गन ने अब 11 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया है जो पहले 13 प्रतिशत था। यूबीएस ने जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 11.5 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत और सिटी ने इसे कम कर 12 प्रतिशत कर दिया है।

भारत की जीडीपी वृद्धि दर पिछले साल की शुरूआत में आयी माहामारी से पहले से घट रही थी। वित्त वर्ष 2016-17 में आर्थिक वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत थी जो अगले दो साल 2017-18 और 2018-19 में घटकर क्रमश: 6.8 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत पर आ गयी। वहीं 2019-20 में यह कम होकर 4 प्रतिशत रह गयी।

कोविड-19 महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर में 8 प्रतिशत तक की गिरावट का अनुमान जताया है। पिछले वित्त वर्ष में कमजोर तुलनात्मक आधार के साथ चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर दहाई अंक में और अगले वित्त वर्ष 2022-23 में 6.8 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहने जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने 12.5 प्रतिशत की संभावना जतायी है।

पिछले एक पखवाड़े से कोरोना संक्रमितों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है। ताजा आधिकारिक आंकड़े के अनुसार पिछले 24 घाटे में कोरोना संक्रमण के 2.61 लाख मामले आये हैं जबकि 1,501 लोगों की मौत हुई है।

यूबीएस ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिये वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को सालाना आधार पर 10 प्रतिशत (पूर्व में 11.5 प्रतिशत) करते हुए कहा, ‘‘भारत में कोविड-19 के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। रोजाना जो मामले आ रहे हैं, वे 2020 के उच्चतम स्तर का दोगुना से भी अधिक है। अगर आने वाले सप्ताह में वायरस को काबू में करने के प्रयास सफल रहते हैं, हमें लगता है कि पुनरूद्धार वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही से ही जोर पकड़ेगा।’’
सिटी रिसर्च ने कहा कि हालांकि पिछले साल के मुकाबले पाबंदियां उतनी कड़ी नहीं है, लेकिन कोविड मामले में तेजी से वृद्धि चिंता का कारण है।

उसने कहा, ‘‘कोविड-19 संक्रमण के मामले में महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों से ज्यादा आ रहे हैं जो आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य हैं। पाबंदियों और धारणा को देखते हुए, हमने चालू वित्त वर्ष के लिये जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 12 प्रतिशत (पूर्व में 12.5 प्रतिशत) कर दिया है....।’’
सिटी ने कहा कि अगर कोविड की स्थिति को नियंत्रण में नहीं लाया गया तो पिछले साल की तरह आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में कई संशोधन किये जा सकते हैं।

क्रेडिट सुइस ने कहा कि सितंबर 2020 में कोविड के सर्वाधिक मामले थे, अब उसके मुकाबले दोगुना से ज्यादा मामले आ रहे हैं।

उसने कहा कि पिछले साल जितनी कड़ाई से ‘लॉकडाउन’ लगाये गये थे, इस बार वैसा नहीं है। ‘लॉकडाउन’ स्थानीय स्तर पर ही रहने और पिछले साल से कम कड़े रहने की संभावना हैं।

क्रेडिट सुइस ने कहा कि महाराष्ट्र में ‘लॉकडाउन’ एक अपवाद है। दूसरे राज्य रात में निषेधाज्ञा लगा रहे हैं, सप्ताहांत बंद कर रहे हैं और भीड़ कम करने के उपाय कर रहे हैं।
उसने कहा कि अगर महाराष्ट्र अप्रैल के अंत तक पाबंदियों को हटा लेता है, जीडीपी पर प्रभाव 2021-22 में एक प्रतिशत तक रह सकता है।
वाल स्ट्रीट ब्रोकरज कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा)सिक्योरिटीज ने कहा कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामले आर्थिक पुनरूद्धार के रास्ते में जोखिम हैं। जीडीपी में 2020-21 की चौथी तिमाही में 3 प्रतिशत वृद्धि का पूर्व का अनुमान हासिल होना मुश्किल जान पड़ता है।

उसने कहा कि एक माह तक देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ जीडीपी में एक से दो प्रतिशत तक की कमी ला सकता है। वृद्धि की स्थिति अभी भी कमजोर है। प्रमुख आर्थिक गतिविधियों के संकेतकों में गिरावट और कर्ज वृद्धि में कमी बनी हुई है। ऐसे में महामारी के बढ़ने से वृद्धि के मोर्चे पर चिंता बढ़ना स्वभाविक है।

फिच ने भी कहा है कि कोरोना वायरस पर कुछ हद तक काबू पाने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था सामान्य रास्ते पर लौटने लगी थी। ‘‘हालांकि हाल के सप्ताह में वायरस तेजी से फैल रहा है...भारत में प्रति व्यक्ति के हिसाब से टीकाकरण अभियान पीछे है। अप्रत्याशित संकट ने देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश की जरूरत को रेखांकित किया है।’’


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PTI News Agency

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