एनसीएलएटी ने ओयो अनुषंगी के दिवाला मामले में रिणदाता समिति बनाने के आदेश को स्थगित किया
Thursday, Apr 08, 2021 - 05:24 PM (IST)
नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) आतिथ्य क्षेत्र की कंपनी ओयो ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रीय
कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने उसकी अनुषंगी ओयो हटल्स एण्ड होम्स प्रा. लि. (ओएचएचपीएल) के खिलाफ दिवाला एवं रिणशोधन अक्षमता कानून के तहत रिणदाताओं की समिति (सीओसी) गठित करने पर रोक लगा दी है।
इससे पहले राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने ओयो की अनुषंगी ओएचएचपीएल के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू किये जाने के संबंध में दायर याचिका को सुनवायी के लिए दाखिल कर लिया था। यह याचिका ओएचएचपीएल से 16 लाख करोड़ रुपये की वसूली करने को लेकर दायर की गई है। हालांकि, ओयो ने बुधवार को अपीलीय न्यायाधिकरण में याचिका को चुनौती दी।
ओयो ने एक ट्वीट में कहा है, ‘‘एनसीएलएटी ने हमारी याचिका को स्वीकार कर लिया और ओएचएचपीएल के खिलाफ दायर आईबीसी प्रक्रिया में सीओसी गठित करने के आदेश पर स्थगन दे दिया है। दावा करने वाले ने पहले ही 16 लाख रुपये प्राप्त कर लिये हैं जो कि कंपनी ने विरोध जताते हुये भुगतान किये थे।’’
ओयो के संस्थापक और समूह सीईओ रितेश अग्रवाल ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘कल से (बुधवार) से सोशल मीडिया पर जिन लोगों ने भी समर्थन दिया है मैं उनका दिल से शुक्रगुजार हूं। भ्रामक समाचारों और फार्वर्ड किये गये संदशों को हतोत्साहित करने के लिये आप लोगों का शुक्रिया करता हूं।’’
अग्रवाल ने बुधवार को इस तरह के समाचारों और रिपोर्टों का खंडन किया कि कंपनी ने दिवाला कार्रवाई के लिये मामला दायर किया है। उन्होंने ट्वीट में कहा, ‘‘इस तरह के पीडीएफ और तैयार संदेश जारी किये जा रहे हैं जिनमें दावा किया गया है कि ओयो ने दिवाला कार्रवाई के लिये मामला दायर किया है। ये संदेश पूरी तरह से असत्य और गलत हैं। एक दावेदार ने 16 लाख रुपये (22,000 डालर) के बकाये को लेकर ओयो की अनुषंगी पर दावा किया है जिसको लेकर उसने एनसीएलटी में याचिका लगाई है।’’
दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता कानून (आईबीसी) के तहत कोई भी रिणदाता कंपनी को लंबित भुगतान नहीं किये जाने पर दिवाला प्रक्रिया में ले जा सकता है। एनसीएलटी में याचिका दायर हो जाने पर एक समाधान पेशेवर की नियुक्ति की जाती है जो कि रिणदाता के दावे की जांच परख करता है और इस प्रकार के दावे को निपटाने के लिये कंपनी के कामकाज को देखता है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
इससे पहले राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने ओयो की अनुषंगी ओएचएचपीएल के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू किये जाने के संबंध में दायर याचिका को सुनवायी के लिए दाखिल कर लिया था। यह याचिका ओएचएचपीएल से 16 लाख करोड़ रुपये की वसूली करने को लेकर दायर की गई है। हालांकि, ओयो ने बुधवार को अपीलीय न्यायाधिकरण में याचिका को चुनौती दी।
ओयो ने एक ट्वीट में कहा है, ‘‘एनसीएलएटी ने हमारी याचिका को स्वीकार कर लिया और ओएचएचपीएल के खिलाफ दायर आईबीसी प्रक्रिया में सीओसी गठित करने के आदेश पर स्थगन दे दिया है। दावा करने वाले ने पहले ही 16 लाख रुपये प्राप्त कर लिये हैं जो कि कंपनी ने विरोध जताते हुये भुगतान किये थे।’’
ओयो के संस्थापक और समूह सीईओ रितेश अग्रवाल ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘कल से (बुधवार) से सोशल मीडिया पर जिन लोगों ने भी समर्थन दिया है मैं उनका दिल से शुक्रगुजार हूं। भ्रामक समाचारों और फार्वर्ड किये गये संदशों को हतोत्साहित करने के लिये आप लोगों का शुक्रिया करता हूं।’’
अग्रवाल ने बुधवार को इस तरह के समाचारों और रिपोर्टों का खंडन किया कि कंपनी ने दिवाला कार्रवाई के लिये मामला दायर किया है। उन्होंने ट्वीट में कहा, ‘‘इस तरह के पीडीएफ और तैयार संदेश जारी किये जा रहे हैं जिनमें दावा किया गया है कि ओयो ने दिवाला कार्रवाई के लिये मामला दायर किया है। ये संदेश पूरी तरह से असत्य और गलत हैं। एक दावेदार ने 16 लाख रुपये (22,000 डालर) के बकाये को लेकर ओयो की अनुषंगी पर दावा किया है जिसको लेकर उसने एनसीएलटी में याचिका लगाई है।’’
दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता कानून (आईबीसी) के तहत कोई भी रिणदाता कंपनी को लंबित भुगतान नहीं किये जाने पर दिवाला प्रक्रिया में ले जा सकता है। एनसीएलटी में याचिका दायर हो जाने पर एक समाधान पेशेवर की नियुक्ति की जाती है जो कि रिणदाता के दावे की जांच परख करता है और इस प्रकार के दावे को निपटाने के लिये कंपनी के कामकाज को देखता है।
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