सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों से कहा, अप्रैल-2022 से पहले चेयरमैन, एमडी की भूमिका अलग करें

Tuesday, Apr 06, 2021 - 05:02 PM (IST)

नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सूचीबद्ध कंपनियों से कहा है कि वे अप्रैल, 2022 की समयसीमा से पहले चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों की भूमिका को अलग करने के लिए काम करें। नियामक ने स्पष्ट किया है कि नए निर्देश का मकसद प्रवर्तकों की स्थिति को कमजोर करना नहीं है।
सेबी ने जनवरी, 2020 में सूचीबद्ध कंपनियों के लिए चेयरमैन और प्रबंध निदेशकों (एमडी) की भूमिका को विभाजित करने की व्यवस्था को कंपनियों के आग्रह पर दो साल के लिए टाल दिया था। बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों के लिए ये नियमन अब एक अप्रैल, 2022 से लागू होंगे।
सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने मंगलवार को कहा कि इस नयी व्यवस्था से सूचीबद्ध कंपनियों के संचालन ढांचे में सुधार लाने में मदद मिलेगी।
त्यागी ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कॉरपोरेट गवर्नेंस पर आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इससे किसी एक व्यक्ति के पास अधिक अधिकारों को कम करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि दिसंबर, 2020 तक शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों में से करीब 53 प्रतिशत इस नियामकीय प्रावधान का अनुपालन कर रही थीं। त्यागी ने कहा, ‘‘मैं पात्र सूचीबद्ध कंपनियों से कहूंगा कि इस बदलाव के लिए समयसीमा से पहले ही तैयार हो जाएं।’’
त्यागी ने कहा कि इस विभाजन के पीछे विचार प्रवर्तकों की स्थिति को कमजोर करने का नहीं है। बल्कि हम कामकाज के संचालन में सुधार लाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा भूमिकाओं को अलग करने से संचालन का ढांचा अधिक बेहतर और संतुलित हो सकेगा।
सेबी नियमों के तहत शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों को एक अप्रैल, 2020 से चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक या मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) की भूमिका को विभाजित करना था। कई कंपनियों ने चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का पद मिला दिया है। इससे हितों के टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। इसी के मद्देनजर नियामक ने मई, 2018 में इन पदों को विभाजित करने के नियम पेश किए थे।
ये नियम सेबी द्वारा कॉरपोरेट गवर्नेंस पर नियुक्त कोटक समिति की सिफारिशों का हिस्सा हैं। सेबी प्रमुख ने कहा कि वैश्विक स्तर पर भी अब चेयरपर्सन और एमडी/सीईओ के पदों को विभाजित करने पर काम हो रहा है।
उन्होंने बताया कि ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में बहस अब दोनों पदों को विभाजित करने की ओर झुक गई है। जर्मनी और नीदरलैंड में दो स्तरीय बोर्ड ढांचा है। इससे बोर्ड और प्रबंधन की भूमिका अलग-अलग हो जाती है।
त्यागी ने कहा कि कोविड-19 के दौरान सूचीबद्ध कंपनियों को सभी अंशधारकों से पर्याप्त जानकारी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कंपनियों को यह बताना चाहिए कि महामारी का क्या वित्तीय प्रभाव हुआ है। उन्हें सिर्फ चुनिंदा खुलासे तक सीमित नहीं रहना चाहिए।


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PTI News Agency

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