न्यायालय ने गोरखपुर एम्स को 11 छात्रों की परीक्षा आयोजित करने को कहा
Tuesday, Feb 16, 2021 - 10:32 PM (IST)
नयी दिल्ली, 16 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एमबीबीएस पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष के 11 छात्रों के लिए एम्स, गोरखपुर को अलग से परीक्षा लेने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया।
साथ ही, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने यह निर्देश भी दिया कि अकादमिक सत्र 2019-20 में न्यूनतम उपस्थिति पर जोर दिये बगैर ऐसा किया जाए।
दरअसल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स), गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के इन छात्रों को कक्षा में न्यूनतम उपस्थिति की अर्हता पूरी नहीं करने की वजह से वार्षिक परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई थी। ये कक्षाएं कोविड-19 लॉकडाउन के कारण डिजिटल माध्यम से संचालित की गई थी।
पीठ ने कहा, ‘‘परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर उन्हें अगले वर्ष में प्रवेश दिया जाए।’’ साथ ही, इस आदेश को दृष्टांत नहीं माना जाएगा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
साथ ही, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने यह निर्देश भी दिया कि अकादमिक सत्र 2019-20 में न्यूनतम उपस्थिति पर जोर दिये बगैर ऐसा किया जाए।
दरअसल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स), गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के इन छात्रों को कक्षा में न्यूनतम उपस्थिति की अर्हता पूरी नहीं करने की वजह से वार्षिक परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी गई थी। ये कक्षाएं कोविड-19 लॉकडाउन के कारण डिजिटल माध्यम से संचालित की गई थी।
पीठ ने कहा, ‘‘परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर उन्हें अगले वर्ष में प्रवेश दिया जाए।’’ साथ ही, इस आदेश को दृष्टांत नहीं माना जाएगा।
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