राज्यों के चुनाव अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई से पहले हमारी मंजूरी ली जाए: निर्वाचन आयोग

Friday, Jan 15, 2021 - 08:55 PM (IST)

नयी दिल्ली, 15 जनवरी (भाषा) चुनावों के बाद बिना किसी ठोस आधार पर राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों और दूसरे चुनाव अधिकारियों को ‘परेशान किए जाने’ की कुछ घटनाओं का संज्ञान लेते हुए निर्वाचन आयोग ने सभी प्रदेशों को निर्देश दिया है कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ किसी भी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने से पहले उसकी मंजूरी ली जाए।

आयोग ने कैबिनेट सचिव और सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि अधिकारियों के कार्यकाल के समय और आयोग के साथ उनकी जिम्मेदारी के पूरा होने के बाद एक साल की अवधि में भी कार्रवाई के लिए उसकी मंजूरी ली जानी चाहिए।

पत्र में निर्वाचन आयोग ने कहा, ‘‘कई बार अधिकारियों को राजनीतिक प्रतिशोध के लिए, अनुशासनात्मक मामलों में आरोपी बना दिया जाता है तथा इनका कोई ठोस आधार भी नहीं होता। ऐसे में भय का माहौल बन जाता है कि कोई भी सही और संजीदा अधिकारी किसी भी समय कमजोर आधार पर भी निशाने पर आ सकता है।’’
उसने कहा कि ऐसी हालत में ये अधिकारी न सिर्फ हतोत्साहित होते हैं, बल्कि उनका मनोबल बहुत गिर जाता है जिससे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने पर असर पड़ता है।

आयोग के मुताबिक, उसका मानना है अधिकारियों का संरक्षण जरूरी है ताकि वे स्वतंत्र, निष्पक्ष और निर्भीक ढंग से चुनाव कराने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर सकें।

पत्र में इसका उल्लेख किया गया है कि चुनावी ड्यूटी पर तैनात किसी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का मामला उच्चतम न्यायालय की छानबीन के दायरे में भी आया था। साल 2000 में देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि न तो राज्य सरकार चुनावी ड्यूटी पर तैनात किसी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकती है और न ही सरकार गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की उसकी अनुशंसा पर कदम उठाने से इनकार कर सकती है।

दरअसल, निर्वाचन आयोग राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में वहां सरकारों के साथ विचार-विमर्श करके मुख्य निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति करता है।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

PTI News Agency

Advertising