असंतुष्ट किसानों ने वैकल्पिक प्रदर्शन स्थल की पेशकश को ठुकराया

punjabkesari.in Saturday, Nov 28, 2020 - 10:46 PM (IST)

नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) दिल्ली और हरियाणा के बीच सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर डटे किसानों का कहना है कि वे तब तक नहीं मानने वाले हैं जब तक कि वे मध्य दिल्ली तक नहीं पहुँच जाते। किसान संसद भवन के पास जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करना चाह रहे हैं, ताकि वे अपनी समस्याओं को कानून निर्माता के समक्ष रख सकें व अपनी आवाज को वहां तक पहुंचा सकें।
हाल ही में सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में बड़ी संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में स्थित संत निरंकारी मैदान में विरोध प्रदर्शन करने के दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे।
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ गई है, क्योंकि पंजाब और हरियाणा के और अधिक किसान वहां पहुंचकर ''दिल्ली चलो'' मार्च में शामिल हो गए हैं। सभी ने संत निरंकारी मैदान की ओर बढ़ने से इनकार कर दिया।
हरियाणा के झज्जर जिले के 38 वर्षीय मनीष कादियान ने कहा, ‘‘हम केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध करने के लिए आए हैं। हम बुराड़ी के निरंकारी मैदान में जाकर क्या करेंगे, सत्संग करेंगे? सरकार ने मध्य दिल्ली में बैठकर किसानों से वोट लिया। हम जनपथ जाना चाहते हैं और संसद भवन का घेराव करना चाहते हैं। हम यहां से वापस नहीं जाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि किसानों ने बुराड़ी के मैदान में विरोध प्रदर्शन करने के दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
पंजाब के 62 वर्षीय गुरमेज सिंह ने कहा कि किसान तब तक हार नहीं मानेंगे, जब तक कि वे राष्ट्रीय राजधानी के केंद्र में स्थित जंतर मंतर या रामलीला मैदान पहुंचकर अपना "शांतिपूर्ण" विरोध प्रदर्शन नहीं कर लेते।
उन्होंने कहा, "हम निरंकारी मैदान नहीं जाएंगे। हम या तो जंतर मंतर या रामलीला मैदान जाएंगे या यहीं बैठेंगे। हमारे पास छह महीने तक का पर्याप्त राशन है और हम राजमार्ग पर से नहीं हटेंगे।" सिंह ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसान विरोधी है और उसके नए कृषि कानून उनकी आजीविका को छीन लेंगे।
सिंह ने कहा, ‘‘मैं एक किसान हूँ और मैंने अपना सारा जीवन केवल खेती करने में लगाया है। हम अपना जीवन बलिदान करने के लिए भी तैयार हैं, लेकिन यहाँ से वापस नहीं जाएंगे। यह सरकार किसानों के लिए नहीं है। वे किसानों की समस्याओं को लेकर चिंतित नहीं हैं।’’ इन किसानों में से कई ने सिंघु बॉर्डर पर शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा, जहां वे अपने अगले कदम के बारे में फैसला करने के लिए बैठकें करते रहें। किसानों ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर लंबे समय तक रहने की व्यवस्था भी की है।
कई किसानों ने सड़कों की सफाई की, अपना दोपहर का भोजन पकाया और कचरा इकट्ठा किया। उन्होंने कोविड-19 महामारी के बीच स्वच्छता के महत्व को ध्यान में रखते हुए अपना सारा काम किया।
झज्जर निवासी और बेरी अनाज मंडी के प्रधान 49 वर्षीय तेजवीर ने कहा कि वहां के लोग पंजाब के किसानों का स्वागत कर रहे हैं और उन्हें अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को या तो इस कानून को वापस लेना चाहिए या किसानों को एमएसपी देना चाहिए। हम पूरी तरह से किसानों का समर्थन कर रहे हैं और हरसंभव सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं। हम रोज झज्जर से सिंघु बॉर्डर तक आते हैं और प्रदर्शनकारियों के लिए कच्चा राशन और दूध सहित अन्य आवश्यक चीजें लाते हैं।’’ दिल्ली और हरियाणा के बीच टिकरी बॉर्डर पर इकट्ठा हुए ज्यादातर किसानों ने भी दिल्ली पुलिस के उत्तरी दिल्ली स्थित प्रदर्शन स्थल पर जाने की पेशकश को ठुकरा दिया है।
शुक्रवार शाम से टिकरी बॉर्डर पर डेरा जमाए हुए सुखविंदर सिंह ने कहा, "हम प्रदर्शन जारी रखेंगे। हम यहां से नहीं हटेंगे। हरियाणा के कई अन्य किसान भी हमारे साथ जुड़ने वाले हैं। वे रास्ते में हैं। हम यहां से नहीं हटेंगे और यहां से हमारा संघर्ष जारी रहेगा।’’
केंद्र सरकार ने तीन दिसंबर को दिल्ली में एक और दौर की बातचीत के लिए पंजाब के कई किसान संगठनों को आमंत्रित किया है।


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PTI News Agency

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