विचाराधीन कैदियों की जेल वापसी : उच्च न्यायालय के आदेश पर लगी रोक एक हफ्ते और बढ़ी

punjabkesari.in Wednesday, Nov 25, 2020 - 09:31 PM (IST)

नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) कोविड-19 महामारी की वजह से जिन विचाराधीन कैदियों की जमानत की अवधि बढ़ाई गयी थी उन्हें तत्काल राजधानी की जेलों में लौटने की जरूरत नहीं है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर लगाई गयी रोक एक सप्ताह के लिये बढ़ा दी। उच्च न्यायालय ने 20 अक्टूबर, 2020 को इन कैदियों को चरणबद्ध तरीके से जेल प्राधिकारियों के समक्ष समर्पण करने का निर्देश दिया था।

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमे उन सभी विचाराधीन कैदियों को दो से 13 नवंबर के दौरान चरणबद्ध तरीके से समर्पण करने का निर्देश दिया गया था जिनकी महामारी की वजह से जमानत की अवधि बढ़ाई गयी थी।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा, ‘‘29 अक्टूबर, 2020 के अंतरिम आदेश की अवधि एक सप्ताह बढ़ाई जाती है।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोन्साल्विज ने ‘‘नेशनल फोरम ऑन प्रिजन रिफॉर्म्स’’ की ओर से इस मामले का उल्लेख किया था।

शीर्ष अदालत ने 29 अक्टूबर को उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस भी जारी किया और उसका जवाब मांगा था।

इस संगठन का तर्क था कि उच्च न्यायालय के निर्देश उसके 23 मार्च 2020 के आदेश की भावना के पूरी तरह खिलाफ हैं और उसने शीर्ष अदालत द्वरा नियुक्त इस अदालत की उच्चाधिकार समिति की आठ सिफारिशों को दरकिनार करते हुये यह आदेश दिया है।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि कोविड-19 लॉकडाउन से पहले और इसके दौरान जमानत और अंतरिम रोक बढ़ाने के आदेश 31 अक्टूबर के बाद प्रभावी नहीं रहेंगे।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि उसका आदेश उन 356 कैदियों पर भी लागू होगा जिन्हें उच्च न्यायालय ने जमानत दी थी और उन्हें 13 नवंबर तक जेल प्राधिकारियों के समक्ष समर्पण करना होगा।

उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को अपने उन सभी अंतरिम आदेशों अवधि 31 अक्टूबर तक के लिये बढ़ा दी थी, जो 31 अगस्त या उसके बाद खत्म होने वाले थे।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Edited By

PTI News Agency

Recommended News