भारत की डिजिटल क्षेत्र में बढ़ती मौजूदगी कृत्रिम मेधा प्रौद्योगिकी के विकास में काफी अहम: कांत
Friday, Oct 09, 2020 - 11:08 PM (IST)
नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर (भाषा) नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने शुक्रवार को कहा कि डिजिटल क्षेत्र में भारत की बढ़ती मौजूदगी कृत्रिम मेधा (एआई) के विकास के लिये एक मजबूत आधार उपलब्ध कराता है।
उन्होंने कहा कि आधार, यूपीआई के साथ जो डिजिटल ढांचागत सुविधा सृजित हुई है, वह पारदर्शिता बढ़ाने तथा राजकाज में सुधार को लेकर भविष्य की प्रौद्योगिकी के लिये अनूठा अवसर प्रदाता करता है।
रेज 2020 सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कांत ने कहा कि भारत विकास संबंधी चुनौतियों के समाधान के लिये कृत्रिम मेधा का उपोग कर रहा है। इससे न केवल देश में समाज के स्तर पर बदलाव आएगा बल्कि दुनिया के दूसरे देशों को भी लाभ होगा, जो इसी प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘एआई के विकास में डेटा मायने रखता है। भारत की डिजिटल क्षेत्र में बढ़ती मौजूदगी कृत्रिम मेधा (एआई) के विकास के लिये एक बड़ा आधार है।’’
कांत ने कहा, ‘‘भारत का आधार, यूपीआई, जीएसटी, सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली और डिजिटल ढांचागत सुविधा के जरिये डिजिटलीकरण का जो प्रयास है, उससे एआई के लिये अनूठा अवसर सृजित किया है जिसका उपयोग पारदर्शिता बढ़ाने और राजकाज संचालन में सुधार लाने में किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि भारत का एआई का विभिन्न विकासात्मक चुनौतियों के समाधान के लिये सफल उपयोग का संकल्प न केवल यहां की 1.4 अरब आबादी के जीवन में बदलाव लाएगा बल्कि दुनिया के अरबों लोगों के लिये भी लाभदायक होगा।
कांत ने कहा कि भारत का एआई पर राष्ट्रीय कार्यक्रम समाज की समस्याओं के समाधान में प्रौद्योगिकी के सही उपयोग के लिये होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए, हम कंप्यूटिंग सुविधाएं बढ़ाएंगे... हम क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ांगे और हम बड़े पैमाने पर अपने लोगों को एआई के लिये हुनरमंद बनाएंगे...।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उन्होंने कहा कि आधार, यूपीआई के साथ जो डिजिटल ढांचागत सुविधा सृजित हुई है, वह पारदर्शिता बढ़ाने तथा राजकाज में सुधार को लेकर भविष्य की प्रौद्योगिकी के लिये अनूठा अवसर प्रदाता करता है।
रेज 2020 सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कांत ने कहा कि भारत विकास संबंधी चुनौतियों के समाधान के लिये कृत्रिम मेधा का उपोग कर रहा है। इससे न केवल देश में समाज के स्तर पर बदलाव आएगा बल्कि दुनिया के दूसरे देशों को भी लाभ होगा, जो इसी प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘एआई के विकास में डेटा मायने रखता है। भारत की डिजिटल क्षेत्र में बढ़ती मौजूदगी कृत्रिम मेधा (एआई) के विकास के लिये एक बड़ा आधार है।’’
कांत ने कहा, ‘‘भारत का आधार, यूपीआई, जीएसटी, सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली और डिजिटल ढांचागत सुविधा के जरिये डिजिटलीकरण का जो प्रयास है, उससे एआई के लिये अनूठा अवसर सृजित किया है जिसका उपयोग पारदर्शिता बढ़ाने और राजकाज संचालन में सुधार लाने में किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि भारत का एआई का विभिन्न विकासात्मक चुनौतियों के समाधान के लिये सफल उपयोग का संकल्प न केवल यहां की 1.4 अरब आबादी के जीवन में बदलाव लाएगा बल्कि दुनिया के अरबों लोगों के लिये भी लाभदायक होगा।
कांत ने कहा कि भारत का एआई पर राष्ट्रीय कार्यक्रम समाज की समस्याओं के समाधान में प्रौद्योगिकी के सही उपयोग के लिये होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए, हम कंप्यूटिंग सुविधाएं बढ़ाएंगे... हम क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ांगे और हम बड़े पैमाने पर अपने लोगों को एआई के लिये हुनरमंद बनाएंगे...।’’
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