भारत, बांग्लादेश ने द्विपक्षीय संबंधों की विस्तृत समीक्षा की

punjabkesari.in Tuesday, Sep 29, 2020 - 10:55 PM (IST)

नयी दिल्ली, 29 सितम्बर (भाषा) बांग्लादेश में भारत द्वारा वित्त पोषित विकास परियोजनाओं की निगरानी के लिए जल्द ही एक उच्च स्तरीय प्रणाली का गठन किया जाएगा। दोनों देशों के बीच मंत्री स्तरीय डिजिटल बैठक के बाद यह जानकारी दी गई। बैठक में तीस्ता नदी के जल बंटवारे के अंतरिम समझौते को अंतिम रूप देने की प्रतिबद्धता भी दोहराई गई।


विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत-बांग्लादेश संयुक्त परामर्श आयोग (जेसीसी) की छठी बैठक में म्यामां के राखाइन प्रांत से जबरन विस्थापित लोगों के सुरक्षित, त्वरित और सतत् वापसी के महत्व पर भी जोर दिया गया, जो बांग्लादेश में शरण लिए हुए हैं।


बैठक की सह-अध्यक्षता विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके बांग्लादेशी समकक्ष ए. के. अब्दुल मोमेन ने किया। दिसम्बर में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच डिजिटल शिखर बैठक से पहले इसमें द्विपक्षीय संबंधों की विस्तृत समीक्षा की गई।


रोहिंग्या के मुद्दे पर विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘जब तक समस्या का तेजी से समाधान नहीं किया जाता है तब तक आशका है कि एक कट्टर तबका क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि, शांति और स्थिरता को बाधित करेगा और उन्होंने संकट के समाधान में भारत से सहयोग मांगा।’’

संयुक्त बयान में कहा गया कि आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है और दोनों पक्षों ने इसे समाप्त करने का संकल्प जताया।


वार्ता में दोनों मंत्रियों ने कहा कि भारत और बांग्लादेश दक्षिण एशिया में दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं और दोनों देशों के बीच व्यापार एवं निवेश बढ़ाने के लिए परस्पर लाभ वाले उपायों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जिसमें व्यापार में किसी भी तरह की बाधा को हटाना शामिल है।


संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने ‘उच्च स्तरीय निगरानी समिति’ का गठन करने का निर्णय किया है ताकि बांग्लादेश में भारत के ऋण सहयोग से बन रही परियोजनाओं की प्रगति की नियमित समीक्षा की जा सके।


इसमें कहा गया कि दोनों देशों के बीच की सीमाओं पर प्रभावी सुरक्षा के लिए समन्वित सीमा प्रबंधन योजना (सीबीएमपी) लागू की जाए।


इसमें बताया गया, ‘‘भारतीय पक्ष ने सीमा पर खतरे वाले स्थानों पर 150 यार्ड के अंदर तेजी से बाड़ लगाने का आग्रह किया ताकि सीमा अपराधों को रोकने में सहयोग मिल सके।’’

संयुक्त बयान के मुताबिक दोनों मंत्रियों ने तीस्ता नदी के जल बंटवारे के अंतरिम समझौते को अंतिम रूप देने पर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।


काफी समय से लंबित तीस्ता नदी जल बंटवारे पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सितम्बर 2011 में बांग्लादेश दौरे के समय ही समझौता होना था लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद अंतिम समय में इसे स्थगित कर दिया गया था।


कोरोना वायरस महामारी पर चर्चा के दौरान जयशंकर ने बांग्लादेश को कोविड-19 टीके की आपूर्ति में प्राथमिकता देने की बात दोहराई और नयी दिल्ली के ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति में बांग्लादेश के महत्व को उजागर किया।


आर्थिक मोर्चे पर बांग्लादेश ने भारतीय बाजार में साफ्टा (दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र) के तहत बांग्लादेशी उत्पादों के कर रहित पहुंच के लिए भारत की प्रशंसा की। 2018-19 में बांग्लादेश से भारत को निर्यात एक अरब डॉलर से अधिक हो गया।


बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने भारतीय पक्ष से आग्रह किया कि भारत की विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति के तहत उनके देश के निवेशकों के साथ समान व्यवहार हो ताकि वे ऑटोमेटिक रूट के तहत निवेश कर सकें।


बयान में कहा गया कि मोमेन ने भारतीय पक्ष से आग्रह किया कि रोगियों सहित बांग्लादेशी नागरिकों और भारत के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को वीजा जारी करने पर विचार करें।


बैठक में दोनों मंत्रियों ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर संयुक्त रूप से स्मारक डाक टिकट जारी किया।


विदेश मंत्रालय ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जयंती पर 16 दिसंबर को स्मारक डाक टिकट जारी करने के भारत के निर्णय की भी घोषणा की।


बयान में कहा गया कि दोनों देशों ने ‘मुक्ति संग्राम’ की 50वीं वर्षगांठ और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने की 50वीं वर्षगांठ को संयुक्त रूप से मनाने का निर्णय किया।



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PTI News Agency

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