सेबी ने ब्रिकवर्क रेटिंग्स पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया

punjabkesari.in Tuesday, Sep 29, 2020 - 09:06 PM (IST)

नयी दिल्ली, 29 सितंबर (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने ब्रिकवर्क रेटिंग्स इंडिया पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। कंपनी पर यह जुर्माना एस्सेल ग्रुप कंपनीज के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचरों (एनसीडी) को साख निर्धारण के मामले में चूक को लेकर लगाया गया है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को कहा कि ब्रिकवर्क रेटिंग्स एक अन्य रेटिंग एजेंसी के अप्रैल 2017 में इस प्रतिभूति की रेटिंग घटाये जाने के बाद ग्रेट ईस्टर्न एनर्जी कॉरपोरेशन के एनसीडी की रेटिंग की समीक्षा करने में भी विफल रही।

सेबी के अनुसार ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने विभिन्न नकारात्मक संकेतों पर सूचना प्राप्त करने को लेकर समय पर कदम नहीं उठाया। इसके उलट उसने सूचना प्राप्त करने का इंतजार किया जिससे चूक को पहचानने में देरी हुई।

नियामक ने कहा कि रेटिंग एजेंसी समुचित जांच-पड़ताल करने और निर्गमकर्ता की तरफ से असहयोग का खुलासा करने में देरी की। साथ ही उसने निर्गमकर्ता के निवेशकों ओर अन्य संबंधित पक्षों को एनसीडी के पुनर्भुगतान दायित्व को पूरा करने के लिए इसके क्रेडिट भुगतान की क्षमता के बारे में आगाह करने में देरी की।
एस्सेल ग्रुप की कंपनियों के संदर्भ में पाया गया कि एजेंसी ने एस्सेल कॉरपोरेट रिर्सोसेज प्राइवेट लि. (ईसीआरपीएल) और जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लि. (जेडईईएल) के एनसीडी की रेटिंग की थी।

ईसीआरपीएल के एनसीडी की शर्तों के तहत बीएसई और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में सूचीबद्ध जी के इक्विटी शेयरों के गिरवी के माध्यम से इसमें साख वृद्धि की सुविधा थी।

जनवरी 2019 के अंत में जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के शेयरों में गिरावट आयी और कई म्यूचुअल फंड ने गिरवी रखे शेयरों को भुनाने से बचने के लिये प्रतिभूतियों के भुगतान बाध्यता के बाद की तारीख के पुनर्निर्धारण को लेकर सहमति जतायी।
स्पष्ट रूप से, यह एनसीडी को लेकर निर्दिष्ट सुरक्षा कवर का उल्लंघन था।

हालांकि, कर्जदाताओं के साथ समझौता कर कर्जदार सुरक्षा कवर को बहाल करने के लिये कोई कोष/प्रतिभूति लाने से बचने में सफल रहे और संभावित चूक से बचे। कर्जदाताओं ने एनसीडी के लिये भुगतान की तिथि फिर से निर्धारित कर 30 सितंबर, 2019 की ताकि इस मामले में चूक से बचा जाए।
सेबी के अनुसार, सुरक्षा कवर से संबंधित अनुबंध का उल्लंघन का परिणाम आम तौर पर रेटिंग में कई पायदान गिरावट या चूक के रूप में होता है।

हालांकि रेटिंग एजेंसी कथित रूप से इन कारकों की समीक्षा नहीं कर पायी और रेटिंग में केवल एक पायदान की कमी की।

नियामक ने कहा कि कर्जदाता व्यावसायिक हित या निवेशकों के हित में इस प्रकार का समझौता कर सकते हैं, लेकिन रेटिंग एजेंसी का यह कर्तव्य है कि वह चूक के बारे में जानकारी सार्वजनिक करे।

नियामक के अनुसार इन सब चीजों को देखते हुए कहा जा सकता है कि ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसी नियमन का उल्लंघन किया है।
इसके आधार पर सेबी ने ब्रिकवर्क रेटिंग्स इंडिया प्राइवेट लि. पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।


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PTI News Agency

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