निषिद्ध क्षेत्र बदलते रहते हैं, नमूने का आकार बहुत छोटा था: आईसीएमआर

Tuesday, Sep 22, 2020 - 10:36 PM (IST)

नयी दिल्ली, 22 सितम्बर (भाषा) भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) निदेशक बलराम भार्गव ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 से अधिक प्रभावित 10 शहरों में निषिद्ध क्षेत्रों से निष्कर्षों को पहले राष्ट्रीय सीरोसर्वे अध्ययन पत्र में शामिल नहीं किया गया है जिसका प्रकाशन हाल में किया गया है क्योंकि नमूने का आकार बहुत छोटा था और निषिद्ध क्षेत्र दिन-प्रतिदिन और सप्ताहिक आधार पर बदलते रहते हैं।

भार्गव की यह टिप्पणी मीडिया में आयी उन खबरों की पृष्ठभूमि में है जिसमें दावा किया गया था कि स्वास्थ्य अनुसंधानकर्ताओं को परोक्ष तौर पर आईसीएमआर के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर कोविड-19 से अधिक प्रभावित 10 शहरों में निषिद्ध क्षेत्रों के निष्कर्षों को पहले राष्ट्रीय सीरोसर्वे अध्ययन पत्र में शामिल करने की इजाजत नहीं दी गई। इस अध्ययन पत्र का प्रकाशन हाल में ‘इंडियन जर्नल आफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) में हुआ है।
आईसीएमआर ने रविवार को कहा था कि दस शहरों में कोविड-19 संचरण का पता लगाने के लिए किये गए पिछले सीरोसेर्वे के निष्कर्षों को आगे की कार्रवाई के लिए राज्यों को सूचित कर दिया गया है।

भार्गव ने मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग में एक सवाल के जवाब में कहा कि संक्रमण का पता लगाने के लिए पहले और दूसरे राष्ट्रीय सीरोसर्वे में एक राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व था और नमूना संग्रहण उसके लिए किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘जिस हिस्से को प्रकाशन में शामिल नहीं किया गया वह निषिद्ध क्षेत्रों का था क्योंकि ये दिन प्रतिदिन और साप्ताहिक आधार पर बदलते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही निषिद्ध क्षेत्रों में नमूना एकत्रीकरण बहुत छोटे आकार का था और उद्देश्य यह था कि उन बड़े शहरों में सीरोसर्वे की भावना को जागृत किया जाए तथा ऐसा प्रभावी तरीके से किया गया।’’
उन्होंने दिल्ली का उदाहरण दिया जहां जून, जुलाई और अगस्त में तीन सीरोसर्वे किये गए और परिणाम क्रमश: 22, 27 और 33 प्रतिशत थे।



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PTI News Agency

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