न्यायालय ने एपीआरएल को कोयले की उच्च लागत के लिये क्षतिपूर्ति शुल्क वसूली की अनुमति दी
Tuesday, Sep 01, 2020 - 10:18 PM (IST)
नयी दिल्ली, एक सितंबर (भाषा) अडाणी पावर ने मंगलवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय ने उसकी इकाई एपीआरएल (अडाणी पावर राजस्थान लि.) को कोयले की उच्च लागत के एवज में राजस्थान वितरण कंपनियों से क्षतिपूर्ति शुल्क वसूली की अनुमति दे दी है।
न्यायालय ने संबंधित आदेश 31 अगस्त को दिया।
अपीलीय विद्युत न्यायाधिकरण (एपटेल) ने पिछले साल सितंबर में एपीआरएल को राजस्थान की वितरण कंपनियों के साथ 1,200 मेगावाट बिजली आपूर्ति के संदर्भ में कोयले की उच्च लागत की वसूली की अनुमति दी थी।
न्यायाधिकरण ने घरेलू स्तर पर कोयले की कमी को देखते हुए क्षतिपूर्ति की अनुमति दी थी।
अडाणी पावर ने बीएसई को दी सूचना में कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने 31 अगसत, 2020 को दिये अपने आदेश में राजस्थान की वितरण कंपनियों की अपील को आंशिक रूप से बरकरार रखा। आदेश में एपटेल के 14 सितंबर, 2019 के निर्देश के तहत अडाणी पावर राजस्थान लि. को वितरण कंपनियों से क्षतिपूर्ति शुल्क की वसूली की अनुमति दे दी गयी।’’ कंपनी के अनुसार हालांकि उच्चतम न्यायालय ने वितरण कंपनियों के देरी से भुगतान को लेकर ब्याज दर को एसबीआई प्रधान उधारी दर के आधार पर सीमित किया है। इसमें 9 प्रतिशत सालाना ब्याज की सीमा लगायी गयी है। इस पर मासिक चक्रवृद्धि के बजाए सालाना चक्रवृद्धि लगेगा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
न्यायालय ने संबंधित आदेश 31 अगस्त को दिया।
अपीलीय विद्युत न्यायाधिकरण (एपटेल) ने पिछले साल सितंबर में एपीआरएल को राजस्थान की वितरण कंपनियों के साथ 1,200 मेगावाट बिजली आपूर्ति के संदर्भ में कोयले की उच्च लागत की वसूली की अनुमति दी थी।
न्यायाधिकरण ने घरेलू स्तर पर कोयले की कमी को देखते हुए क्षतिपूर्ति की अनुमति दी थी।
अडाणी पावर ने बीएसई को दी सूचना में कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने 31 अगसत, 2020 को दिये अपने आदेश में राजस्थान की वितरण कंपनियों की अपील को आंशिक रूप से बरकरार रखा। आदेश में एपटेल के 14 सितंबर, 2019 के निर्देश के तहत अडाणी पावर राजस्थान लि. को वितरण कंपनियों से क्षतिपूर्ति शुल्क की वसूली की अनुमति दे दी गयी।’’ कंपनी के अनुसार हालांकि उच्चतम न्यायालय ने वितरण कंपनियों के देरी से भुगतान को लेकर ब्याज दर को एसबीआई प्रधान उधारी दर के आधार पर सीमित किया है। इसमें 9 प्रतिशत सालाना ब्याज की सीमा लगायी गयी है। इस पर मासिक चक्रवृद्धि के बजाए सालाना चक्रवृद्धि लगेगा।
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