आयात शुल्क मूल्य में बदलाव से तेल कारोबार पर कोई असर नहीं: तेल उद्योग

Friday, Aug 14, 2020 - 09:51 PM (IST)

नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) सहकारी संस्था नाफेड और हाफेड की एमएसपी पर सरसों की बिकवाली से दिल्ली मंडी में सरसों दाना में मामूली गिरावट आई जबकि पहले के बचे भारी स्टॉक और आगामी उत्पादन के बढ़ने के आसार से मूंगफली और मूंगफली तेल में भी नरमी दिखी।

बाजार सूत्रों ने कहा कि शुल्क मूल्य में जो वृद्धि की गई है वो बाजार की अपेक्षाओं के अनुकूल नहीं है। शुल्क मूल्य के आधार पर आयात न्यूतम आयात शुल्क लगाया जाता है।

तेल उद्योग को अपेक्षा थी कि सरकार सस्ते आयात को प्रबंधित करने तथा देशी तेल उद्योग एवं किसानों की रक्षा के लिहाज से आयातित तेलों के आयात शुल्क मूल्य में भारी वृद्धि करेगी। लेकिन सीपीओ के शुल्क मूल्य में 131 रुपये प्रति क्विन्टल की ही वृद्धि की गई है। जबकि सोयाबीन डीगम के शुल्क मूल्य को 125 रुपये प्रति क्विन्टल ही बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि आयात की तादाद और देशी तेल तिलहनों की लागत को देखते हुए मौजूदा वृद्धि का बाजार पर कोई खास असर नहीं डाल पाया।

उन्होंने कहा कि सरसों में गिरावट का कारण सहकारी संस्था नाफेड और हाफेड की बिकवाली थी। जबकि पहले के जमा स्टॉक और आगामी बम्पर पैदावार की संभवनाओं के कारण मूंगफली दाना(तिलहन) तथा मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल कीमतों में मामूली गिरावट दर्ज हुई।

उन्होंने कहा कि देश में पहले से ही मूंगफली और सोयाबीन का भारी स्टॉक जमा है तथा इस बार सोयाबीन, मूंगफली और सूरजमुखी की पैदावार जोरदार रहने की उम्मीद है। ऐसे में सस्ते आयातित तेल के मुकाबले देशी तिलहनों को बाजार में खपाने की बात को ध्यान में रखते हुए सोयाबीन डीगम और कच्चा पामतेल के आयात पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा कि देशी तिलहनों का लगभग 25 से 30 प्रतिशत यानी लाखों टन सोयाबीन, मूंगफली जैसे देशी तिलहन का स्टॉक किसानों के पास बचा रह जाता है। ऐसे में पिछले जुलाीई माह के दौरान देश में लगभग 4,80,000 टन सोयाबीन डीगत का रिकॉर्ड आयात किया गया है।

उन्होंने कहा कि कुछ आयातक बेपरता कारोबार के जरिये भाव तोड़ते हैं और बैंकों के ऋण का हेरफेर कर उसके पैसे को डुबोते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कारोबारिये मलेशिया में पाम तेल 7,800 रुपये क्विन्टल के भाव खरीदते हैं जबकि देश में इसकी बिक्री 7,450 रुपये के भाव से की जा रही है। ऐसे बेपरता कारोबार से देशी तेल उद्योग और स्थानीय तिलहन किसानों की हालत जर्जर हो रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे बेपरता कारोबार कर बैंकों के पैसों के खेलने वाले आयातकों पर अंकुश लगाना चाहिये।

तेल-तिलहन के बंद भाव बृहस्पतिवार को इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन - 5,085- 5,135 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली दाना - 4,575- 4,625 रुपये।

वनस्पति घी- 965 - 1,070 रुपये प्रति टिन।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 11,950 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 1,780- 1,840 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 10,280 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,585 - 1,725 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,695 - 1,815 रुपये प्रति टिन।

तिल मिल डिलिवरी तेल- 11,000 - 15,000 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,250 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,100 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम- 8,100 रुपये।

सीपीओ एक्स-कांडला-7,400 से 7,450 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,100 रुपये।

पामोलीन आरबीडी दिल्ली- 8,950 रुपये।

पामोलीन कांडला- 8,150 रुपये (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन तिलहन डिलिवरी भाव 3,615- 3,640 लूज में 3,350--3,415 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) - 3,500 रुपये


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PTI News Agency

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