बरसात के मौसम में पशुओं की समुचित देखभाल की जरूरत: एनडीडीबी

punjabkesari.in Thursday, Aug 13, 2020 - 11:39 PM (IST)

नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने ज्यादा बरसात और विशेषकर बाढ़ग्रस्त इलाके में दुधारू मवेशियों में संक्रमण बढ़ने और दुग्ध उत्पादन के प्रभावित होने के खतरे को देखते हुए ऐसे मवेशियों की समुचित देखभाल को जरूरी बताया।
एनडीडीबी ने सहकारी दुग्ध संस्थाओं को परामर्श जारी किया है कि वे अपने प्रशिक्षित पेशेवर सदस्यों के माध्यम से किसानों के बीच जाकर मवेशियों की देखभाल, स्वास्थ्य प्रबंधन और चारे व दवा के उपयोग के बारे में समुचित जानकारी दें। एनडीडीबी की विज्ञप्ति में यह कहा गया है।

एनडीडीबी के अध्यक्ष, दिलीप रथ ने कहा, ‘‘बरसात का मौसम पशुपालकों के लिए बेहद चुनौती पूर्ण होता है। ऐसे में दुधारू पशुओं के चारा, स्वास्थ्य प्रबंधन, दूध दोहन का प्रबंधन का विशेष ध्यान होना चाहिए। बरसात का मौसम पशुओं में बीमारियों के लिए सबसे घातक समय होता है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि बाढ़ और बरसात के कारण इस मौसम में पौष्टिक चारे की कमी और सक्रमण का खतरा आम दिनों के मुकाबले अधिक होता है जिससे दुधारू मवेशियों को बचाते हुए उनकी समुचित देखरेख की जानी चाहिये।

विज्ञप्ति में बताया गया है कि मनुष्य की तरह पशु भी बरसात के दिनों में विभिन्न रोगो के प्रति अधिक संवेदनशील होते है और मवेशियों को इस मौसम में पाचन से सम्बन्धित रोग का अधिक प्रकोप होता है। इस मौसम में भूसा, हरा-चारा, दाना, दलिया, एंव चोकर इत्यादि में फफूंद का प्रकोप हो जाता है एंव नदियो तालाब का पानी कीटाणुओ तथा विभिन्न प्रकार के परजीवियों से प्रदूषित हो जाता है। पशुओ के इस प्रदूषित चारे दाने एंव पानी के सेवन से पाचन से संबन्धित बीमारियां हो जाती है, जिससे दूध आदि का उत्पादन प्रभावित होता है।
बरसात के मौसम में दुधारू पशुओं का पोषण एवं प्रबंधन के लिए डेयरी बोर्ड ने आवश्यक परामर्श जारी किया है। एनडीडीबी ने कहा कि कीट और मक्खियों को नियंत्रित करने के लिए शेड में कीटाणुनाशक का छिड़काव होना चाहिये। बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों में, जानवरों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की अग्रिम योजना स्थानीय अधिकारियों के परामर्श से की जानी चाहिये।

एनडीडीबी ने दुधारू मवेशियों के रखरखाव के बाद उनके आहार प्रबंधन के संबंध में सलाह दी है कि बरसात के समय हरी घास में अधिक नमी और कम फाइबर होता है जो दूध में वसा की कमी और पतला मल होने का कारण बनता है। इन समस्याओं से बचने के लिए हरी घास के साथ पर्याप्त सूखा चारा उपलब्ध कराना चाहिये। चारे से इन मवेशियों में विषाक्तता न फैले इस बात की ओर विशेष ध्यान देने की जरुरत है।



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PTI News Agency

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