संपत्ति पर महिलाओं के समान अधिकार के पक्ष में फैसले से महिला सशक्तीकरण में मदद मिलेगी :कार्यकर्ता
punjabkesari.in Tuesday, Aug 11, 2020 - 11:29 PM (IST)
नयी दिल्ली, 11 अगस्त (भाषा) महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को शीर्ष अदालत की उस व्यवस्था का स्वागत किया जिसमें संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति में बेटियों के समान अधिकारों की वकालत की गयी है।
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अपनी व्यवस्था में कहा कि पुत्रियों को समता के उनके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है और संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति में उनका बेटों के समान ही अधिकार होगा, भले ही हिन्दू उत्तराधिकार संशोधन कानून, 2005 बनने से पहले ही पिता की मृत्यु हो गयी हो।
पीपुल अगेंस्ट रेप इन इंडिया (परी) की प्रमुख योगिता भयाना ने कहा कि सरकार और समाज दोनों को महिला समानता के लिए मिलकर काम करना होगा और इसके लिए जागरुकता फैलानी होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हम सालों से लड़ रहे हैं। यह बहुत अच्छा फैसला है।’’
सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने कहा कि इस फैसले से महिलाओं को लाभ होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यह अच्छा फैसला है। दुख की बात है कि अदालतों को ये फैसले देने पड़ते हैं। हमें समाज के रूप में बेटियों को संपत्ति पर समान अधिकार देने चाहिए चाहे किसी भी धर्म के हों।’’
महिला अधिकार कार्यकर्ता शमीना शफीक ने फैसले को शानदार बताते हुए कहा कि महिला काफी हिंसा झेलती हैं क्योंकि उन्हें संपत्ति के अधिकारों से वंचित किया जाता है।
भारतीय सामाजिक जाग्रतिक संगठन की सदस्य छवि मेथी ने फैसले का स्वागत किया लेकिन कहा कि इससे परिवारों में और कलह बढ़ सकती है।
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘समाज को फैसले को स्वीकार करना चाहिए।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अपनी व्यवस्था में कहा कि पुत्रियों को समता के उनके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है और संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति में उनका बेटों के समान ही अधिकार होगा, भले ही हिन्दू उत्तराधिकार संशोधन कानून, 2005 बनने से पहले ही पिता की मृत्यु हो गयी हो।
पीपुल अगेंस्ट रेप इन इंडिया (परी) की प्रमुख योगिता भयाना ने कहा कि सरकार और समाज दोनों को महिला समानता के लिए मिलकर काम करना होगा और इसके लिए जागरुकता फैलानी होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हम सालों से लड़ रहे हैं। यह बहुत अच्छा फैसला है।’’
सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने कहा कि इस फैसले से महिलाओं को लाभ होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यह अच्छा फैसला है। दुख की बात है कि अदालतों को ये फैसले देने पड़ते हैं। हमें समाज के रूप में बेटियों को संपत्ति पर समान अधिकार देने चाहिए चाहे किसी भी धर्म के हों।’’
महिला अधिकार कार्यकर्ता शमीना शफीक ने फैसले को शानदार बताते हुए कहा कि महिला काफी हिंसा झेलती हैं क्योंकि उन्हें संपत्ति के अधिकारों से वंचित किया जाता है।
भारतीय सामाजिक जाग्रतिक संगठन की सदस्य छवि मेथी ने फैसले का स्वागत किया लेकिन कहा कि इससे परिवारों में और कलह बढ़ सकती है।
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘समाज को फैसले को स्वीकार करना चाहिए।’’
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