मोदी ने कहा, किसानों ने दिया अर्थव्यवस्था को सहारा, एक लाख करोड़ रु. का कृषि अवसंरचना कोष शुरू किया
Sunday, Aug 09, 2020 - 04:51 PM (IST)
नयी दिल्ली, नौ अगस्त (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न इस संकटकाल से निपटने में देश के किसानों के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा है कि सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में किये गये सुधार छोटे किसानों को सशक्त बनाने पर केन्द्रित हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने रविवार को कृषि अवसंरचना कोष के तहत एक लाख करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा का शुभांरंभ किया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में फसल कटाई के बाद उसके प्रबंधन के लिए अवसंरचनाओं को तैयार करने तथा रोजगार का सृजन करने में मदद मिलेगी।
मोदी ने कहा कि देश में आज समस्या कृषि उत्पादन को लेकर नहीं, बल्कि कटाई के बाद होने वाले नुकसान को लेकर है। उन्होंने कहा कि इसी कारण से कटाई के बाद फसलों की उचित देखरेख के लिए आधारभूत ढांचों को सुदृढ़ करने और किसानों को बेहतर लाभ सुनिश्चित करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन्हीं किसानों के चलते भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था आज भी मजबूत है और इससे पूरी अर्थव्यवस्था को सहारा मिला है।
उन्होंने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए अपनी सरकार की तमाम नीतियों और कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि खासकर छोटे किसानों के हित को इन योजनाओं के केंद्र में रखा गया है।
प्रधानमंत्री ने ‘बलराम जयंती’ के मौके पर वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिये कृषि अवसंरचना कोष की शुरुआत की। ‘बलराम जयंती’ के दिन किसान खेतों में जुताई को शुभ मानते हैं। इस वीडियों कांफ्रेंस में देशभर के किसान, सहकारी समितियां और नागरिक जुड़े। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी इस कार्यक्रम में शामिल थे।
कृषि अवसंरचना कोष के शुभारंभ के बाद मोदी ने कहा कि देश में आज समस्या कृषि उत्पादन को लेकर नहीं, बल्कि कटाई के बाद होने वाले नुकसान को लेकर है। उन्होंने कहा, ‘‘इस मौके पर देश में कृषि से संबंधित आधारभूत ढांचागत सुविधाओं के निर्माण के लिए एक लाख करोड़ रुपये का विशेष कोष बनाया गया है।’’ उन्होंने कहा कि इससे गांवों में संग्रह केन्द्रों, अनाज भंडारण की बेहतर सुविधाओं का निर्माण करने तथा आधुनिक शीत भंडारगृहों की श्रृंखला, प्रसंस्करण इकाइयां आदि तैयार करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) की छठी किस्त के तहत 8.5 करोड़ से अधिक किसानों को 17,100 करोड़ रुपये की राशि जारी की। पीएम किसान के तहत किसानों को हर साल दो-दो हजार रुपये की तीन किस्तों में कुल छह हजार रुपये की सहायता दी जाती है।
मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि संकट के इस दौर में ,‘हमारे किसानों ने पिछले छह माह में यह दिखा दिया है कि हमारा ग्रामीण और कृषि क्षेत्र आपदा में देश की कितनी बड़ी मदद कर सकता है।’’ उन्होंने कहा कि इन किसानों की ‘तपस्या’ से ही ‘हम 80 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन सामग्री सुलभ कराने का विश्व का सबसे बड़ा कार्यक्रम चलाने में समर्थ हुए हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत की कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था संकट में भी मजबूत है। हमने इस दौरान बीज और उर्वरकों का रिकॉर्ड उत्पादन किया है।....किसानों ने महामारी के खतरे के बीच भी कटाई-बुवाई में रिकॉर्ड बनाए हैं।’
मोदी ने कहा कि कृषि से संबंधित हालिया दो अध्यादेशों से किसानों को मंडी के बाहर अपनी उपज बेचने के लिए नए बाजार अवसर उपलब्ध होंगे। साथ ही प्रधानमंत्री ने किसान रेल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि किसान रेल की वजह से अब किसानों को अपनी उपज को औने-पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा।
मोदी ने कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश के किसानों के साथ भी बातचीत की, जो प्राथमिक कृषि साख समितियों (पीएसीएस) के माध्यम से इस ऋण सुविधा के शुरुआती लाभार्थियों में से हैं।
मोदी ने कहा कि पहली किसान रेल मुंबई और बिहार के बीच अभी कुछ दिन पहले शुरू कर दी गयी है। यह ‘रेल पटरी पर दौड़ते शीतगृह हैं। इससे रास्ते में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के छोटे किसानों को भी फायदा होगा। वे बड़े महानगरों के बाजार से सीधे जुड़ जाएंगे।
मोदी ने कहा, ‘ किसान रेलों से शहर के उपभोक्ता को भी लाभ होगा। फल-सब्जियों की ढुलाई का भाड़ा कई गुना कम होगा। मौसम और दूसरे संकट के समय शहरों में ताजा फल और सब्जियों की कमी नहीं होगी।’
उन्होंने कहा कि इससे किसान फल-सब्जी और दूध आदि के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित होंगे और ‘कीमत (घटाने-बढ़ाने) का खेल खेलने वालों के लिए मौका खत्म होगा।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में ज्यादातर किसान छोटे हैं। ‘पिछले पांच-छह साल से हम किसानों की हालत सुधारने का सुविचारित प्रयास कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि सरकार कृषि उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का नेटवर्क बना रही है। इसके तहत 350 कृषि स्टार्टअप का वित्तपोषण किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 से पहले और लॉकडाउन के दौरान किसानों ने काफी मेहनत की है। यही वजह है कि आज देश में खाद्य सामग्री की पर्याप्त आपूर्ति सुगमता से हो रही है।
उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे अपना काम करते हुए इस महामारी के दौरान मास्क पहनें और सामाजिक दूरी का पालन करें।
मोदी ने कहा कि आज शुरू किए गए नए वित्तीय सहायता कोष से ‘कटाई बाद फसल प्रबंधन अवसंरचना’ और ‘सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों’ जैसे कि शीत भंडारगृह, संग्रह केंद्रों, प्रसंस्करण इकाइयों के सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
सरकार का मानना है कि ये परिसंपत्तियां किसानों को अपनी उपज का अधिक मूल्य प्राप्त करने में सक्षम करेंगी। दरअसल, इन परिसंपत्तियों की बदौलत किसान अपनी उपज का भंडारण करने एवं ऊंचे मूल्यों पर बिक्री करने, बर्बादी को कम करने और प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन में वृद्धि करने में समर्थ हो सकेंगे।
कई ऋणदाता संस्थानों के साथ साझेदारी में वित्तपोषण सुविधा के तहत एक लाख करोड़ रुपये मंजूर किए जाएंगे। सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में से 11 बैंकों ने पहले ही कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग के साथ सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
इन परियोजनाओं की व्यवहार्यता या लाभप्रदता बढ़ाने के लिए लाभार्थियों को तीन प्रतिशत ब्याज सब्सिडी और दो करोड़ रुपये तक की ऋण गारंटी दी जाएगी।
ऋण का वितरण चार वर्षों में किया जायेगा। चालू साल में 10,000 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किया जाएगा। उसके बाद अगले तीन वित्त वर्षों में हर साल 30,000-30,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
योजना के लाभार्थियों में किसान, विपणन सहकारी समितियां, एफपीओ, एसएचजी, संयुक्त देयता समूह (जेएलजी), बहुउद्देशीय सहकारी समितियां, कृषि-उद्यमी, स्टार्टअप और केंद्रीय/राज्य एजेंसी अथवा स्थानीय निकाय द्वारा प्रायोजित सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजनाएं शामिल होंगी।
दिसंबर, 2018 को शुरू की गई पीएम-किसान योजना के तहत 9.9 करोड़ से भी अधिक किसानों को 75,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रत्यक्ष नकद लाभ प्रदान किया गया है।
इसने किसानों को अपनी कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने और अपने-अपने परिवारों को आवश्यक सहारा देने में सक्षम बनाया है।
पीएम-किसान योजना के तहत धनराशि को सीधे तौर पर ‘आधार’ प्रमाणित लाभार्थियों के बैंक खाते में हस्तांतरित किया जाता है ताकि धनराशि के रिसाव (लीकेज) को रोका जा सके और किसानों के लिए सुविधा बढ़ाई जा सके। यह योजना कोविड-19 महामारी के दौरान किसानों को आवश्यक सहारा देने में भी सहायक रही है।
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मोदी ने कहा कि देश में आज समस्या कृषि उत्पादन को लेकर नहीं, बल्कि कटाई के बाद होने वाले नुकसान को लेकर है। उन्होंने कहा कि इसी कारण से कटाई के बाद फसलों की उचित देखरेख के लिए आधारभूत ढांचों को सुदृढ़ करने और किसानों को बेहतर लाभ सुनिश्चित करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन्हीं किसानों के चलते भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था आज भी मजबूत है और इससे पूरी अर्थव्यवस्था को सहारा मिला है।
उन्होंने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए अपनी सरकार की तमाम नीतियों और कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा कि खासकर छोटे किसानों के हित को इन योजनाओं के केंद्र में रखा गया है।
प्रधानमंत्री ने ‘बलराम जयंती’ के मौके पर वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिये कृषि अवसंरचना कोष की शुरुआत की। ‘बलराम जयंती’ के दिन किसान खेतों में जुताई को शुभ मानते हैं। इस वीडियों कांफ्रेंस में देशभर के किसान, सहकारी समितियां और नागरिक जुड़े। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी इस कार्यक्रम में शामिल थे।
कृषि अवसंरचना कोष के शुभारंभ के बाद मोदी ने कहा कि देश में आज समस्या कृषि उत्पादन को लेकर नहीं, बल्कि कटाई के बाद होने वाले नुकसान को लेकर है। उन्होंने कहा, ‘‘इस मौके पर देश में कृषि से संबंधित आधारभूत ढांचागत सुविधाओं के निर्माण के लिए एक लाख करोड़ रुपये का विशेष कोष बनाया गया है।’’ उन्होंने कहा कि इससे गांवों में संग्रह केन्द्रों, अनाज भंडारण की बेहतर सुविधाओं का निर्माण करने तथा आधुनिक शीत भंडारगृहों की श्रृंखला, प्रसंस्करण इकाइयां आदि तैयार करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) की छठी किस्त के तहत 8.5 करोड़ से अधिक किसानों को 17,100 करोड़ रुपये की राशि जारी की। पीएम किसान के तहत किसानों को हर साल दो-दो हजार रुपये की तीन किस्तों में कुल छह हजार रुपये की सहायता दी जाती है।
मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि संकट के इस दौर में ,‘हमारे किसानों ने पिछले छह माह में यह दिखा दिया है कि हमारा ग्रामीण और कृषि क्षेत्र आपदा में देश की कितनी बड़ी मदद कर सकता है।’’ उन्होंने कहा कि इन किसानों की ‘तपस्या’ से ही ‘हम 80 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन सामग्री सुलभ कराने का विश्व का सबसे बड़ा कार्यक्रम चलाने में समर्थ हुए हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत की कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था संकट में भी मजबूत है। हमने इस दौरान बीज और उर्वरकों का रिकॉर्ड उत्पादन किया है।....किसानों ने महामारी के खतरे के बीच भी कटाई-बुवाई में रिकॉर्ड बनाए हैं।’
मोदी ने कहा कि कृषि से संबंधित हालिया दो अध्यादेशों से किसानों को मंडी के बाहर अपनी उपज बेचने के लिए नए बाजार अवसर उपलब्ध होंगे। साथ ही प्रधानमंत्री ने किसान रेल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि किसान रेल की वजह से अब किसानों को अपनी उपज को औने-पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा।
मोदी ने कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश के किसानों के साथ भी बातचीत की, जो प्राथमिक कृषि साख समितियों (पीएसीएस) के माध्यम से इस ऋण सुविधा के शुरुआती लाभार्थियों में से हैं।
मोदी ने कहा कि पहली किसान रेल मुंबई और बिहार के बीच अभी कुछ दिन पहले शुरू कर दी गयी है। यह ‘रेल पटरी पर दौड़ते शीतगृह हैं। इससे रास्ते में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के छोटे किसानों को भी फायदा होगा। वे बड़े महानगरों के बाजार से सीधे जुड़ जाएंगे।
मोदी ने कहा, ‘ किसान रेलों से शहर के उपभोक्ता को भी लाभ होगा। फल-सब्जियों की ढुलाई का भाड़ा कई गुना कम होगा। मौसम और दूसरे संकट के समय शहरों में ताजा फल और सब्जियों की कमी नहीं होगी।’
उन्होंने कहा कि इससे किसान फल-सब्जी और दूध आदि के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित होंगे और ‘कीमत (घटाने-बढ़ाने) का खेल खेलने वालों के लिए मौका खत्म होगा।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में ज्यादातर किसान छोटे हैं। ‘पिछले पांच-छह साल से हम किसानों की हालत सुधारने का सुविचारित प्रयास कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि सरकार कृषि उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का नेटवर्क बना रही है। इसके तहत 350 कृषि स्टार्टअप का वित्तपोषण किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 से पहले और लॉकडाउन के दौरान किसानों ने काफी मेहनत की है। यही वजह है कि आज देश में खाद्य सामग्री की पर्याप्त आपूर्ति सुगमता से हो रही है।
उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे अपना काम करते हुए इस महामारी के दौरान मास्क पहनें और सामाजिक दूरी का पालन करें।
मोदी ने कहा कि आज शुरू किए गए नए वित्तीय सहायता कोष से ‘कटाई बाद फसल प्रबंधन अवसंरचना’ और ‘सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों’ जैसे कि शीत भंडारगृह, संग्रह केंद्रों, प्रसंस्करण इकाइयों के सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
सरकार का मानना है कि ये परिसंपत्तियां किसानों को अपनी उपज का अधिक मूल्य प्राप्त करने में सक्षम करेंगी। दरअसल, इन परिसंपत्तियों की बदौलत किसान अपनी उपज का भंडारण करने एवं ऊंचे मूल्यों पर बिक्री करने, बर्बादी को कम करने और प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन में वृद्धि करने में समर्थ हो सकेंगे।
कई ऋणदाता संस्थानों के साथ साझेदारी में वित्तपोषण सुविधा के तहत एक लाख करोड़ रुपये मंजूर किए जाएंगे। सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में से 11 बैंकों ने पहले ही कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग के साथ सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
इन परियोजनाओं की व्यवहार्यता या लाभप्रदता बढ़ाने के लिए लाभार्थियों को तीन प्रतिशत ब्याज सब्सिडी और दो करोड़ रुपये तक की ऋण गारंटी दी जाएगी।
ऋण का वितरण चार वर्षों में किया जायेगा। चालू साल में 10,000 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किया जाएगा। उसके बाद अगले तीन वित्त वर्षों में हर साल 30,000-30,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
योजना के लाभार्थियों में किसान, विपणन सहकारी समितियां, एफपीओ, एसएचजी, संयुक्त देयता समूह (जेएलजी), बहुउद्देशीय सहकारी समितियां, कृषि-उद्यमी, स्टार्टअप और केंद्रीय/राज्य एजेंसी अथवा स्थानीय निकाय द्वारा प्रायोजित सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजनाएं शामिल होंगी।
दिसंबर, 2018 को शुरू की गई पीएम-किसान योजना के तहत 9.9 करोड़ से भी अधिक किसानों को 75,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रत्यक्ष नकद लाभ प्रदान किया गया है।
इसने किसानों को अपनी कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने और अपने-अपने परिवारों को आवश्यक सहारा देने में सक्षम बनाया है।
पीएम-किसान योजना के तहत धनराशि को सीधे तौर पर ‘आधार’ प्रमाणित लाभार्थियों के बैंक खाते में हस्तांतरित किया जाता है ताकि धनराशि के रिसाव (लीकेज) को रोका जा सके और किसानों के लिए सुविधा बढ़ाई जा सके। यह योजना कोविड-19 महामारी के दौरान किसानों को आवश्यक सहारा देने में भी सहायक रही है।
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