सोशल मीडिया मंच इस्तेमाल पर सेना के प्रतिबंध के खिलाफ अदालत ने वरिष्ठ अधिकारी की याचिका खारिज कीा

punjabkesari.in Wednesday, Aug 05, 2020 - 05:11 PM (IST)

नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी की उस याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया जिसमें फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे 89 सोशल नेटवर्किंग प्लेटफार्म के उपयोग पर सशस्त्र बल के कर्मियों पर लगायी गयी रोक के भारतीय सेना के फैसले को चुनौती दी गयी थी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि अगर सरकार ने यह निर्णय लिया है कि सैन्य कर्मियों द्वारा फेसबुक और इंस्टाग्राम समेत अन्य सोशल नेटवर्किंग साइटों के इस्तेमाल से दुश्मन देशों को फायदा पहुंचता है तो अदालत इस फैसले में हस्तक्षेप देने की अनिच्छुक है।

अदालत ने कहा कि वर्तमान दौर में युद्ध कौशल केवल ‘भूभाग कब्जा करने’ तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें शत्रु देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने और ‘आंतरिक अशांति’ उत्पन्न करने तक है।

उच्य न्यायालय का यह आदेश सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा भारतीय सेना के हालिया नीति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने के दौरान आया। भारतीय सेना ने अपने सैनिकों के 89 सोशल नेटवर्किंग मंच के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था।

न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ और न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा, ‘‘क्षमा करिए, हम खारिज कर रहे हैं, धन्यवाद।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि संपर्क के अन्य माध्यम अब भी याचिकाकर्ता अधिकारी के पास मौजूद हैं और यह प्रतिबंध सिर्फ कुछ सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों के संबंध में ही है।

अदालत ने लेफ्टीनेंट कर्नल पी के चौधरी की याचिका खारिज कर दी। चौधरी अपनी याचिका में सैन्य खुफिया महानिदेशक को जून की नीति वापस लेने का आदेश देने का अदालत से अनुरोध किया था। छह जून की नई नीति के अनुसार सेना के सभी कर्मियों को फेसबुक और इंस्टाग्राम एवं 87 अन्य सोशल मीडिया मंचों से अपने अकाउंट डिलीट करने को कहा गया था।
पीठ ने कहा, ‘‘ हम यह भी संज्ञान में लेते हैं कि मौजूदा समय में युद्ध और अंतर-देश प्रतिद्वंद्विता और वैमनस्यता दुश्मन देश की जमीन हासिल करने और उनके प्रतिष्ठानों और ढांचों को तबाह करने तक नहीं है बल्कि यह अर्थव्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता को प्रभावित करने तथा आंतरिक कलह बढ़ाने और दुश्मन देश के नागरिकों की राजनीतिक इच्छा को प्रभावित करने तक है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘ ऐसी स्थिति में अगर सरकार ने पूरे आकलन के बाद यह निर्णय लिया है कि उसके सुरक्षा बलों के कर्मियों द्वारा कुछ निश्चित सोशल मीडिया मंचों के इस्तेमाल से दुश्मन देश को फायदा पहुंचता है तो अदालत इस मामले में हस्पक्षेप करने की अनिच्छुक है। ऐसी स्थिति में हस्क्षेप का कोई मामला नहीं बनता है। खारिज।’’

केंद्र का पक्ष रखने वाले स्थायी वकील अजय दिग्पाल पहले ही अदालत को बता चुके हैं कि यह नीतिगत निर्णय लिया गया क्योंकि यह पाया गया कि फेसबुक बग है और यह साइबर हथियार के रूप में घुसपैठ कर रहा था और ऐसे कई मौके आए जब कर्मियों को निशाना बनाया गया।

चौधरी अभी जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं। उन्होंने कहा कि वह फेसबुक के सक्रिय उपयोगकर्ता हैं और इसका इस्तेमाल वे अपने दोस्तों, परिवार और अपनी बड़ी बेटी से संपर्क करने के लिए करते हैं क्योंकि ये सभी विदेश में रहते हैं।



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PTI News Agency

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